299+ Best Khafa Shayari in Hindi | ख़फ़ा शायरी हिंदी में

Khafa Shayari in Hindi – प्यार या रिश्तों में कभी-कभी खफा और नाराजगी भी दस्तक देने लगती है। लेकिन अगर समय रहते इनका समाधान नहीं किया गया तो ये भविष्य में हमें और परेशान कर सकती हैं। अगर कोई आपसे नाराज है तो आप खफा शायरी के जरिए उसे मना सकते हैं।

इस पोस्ट में हम आपके लिए लेकर आए है Khafa Shayari in Hindi, Narazgi shayari in hindi जो आप यहाँ से आसानी से कॉपी कर किसी को भी भेज सकते है | साथ ही फोटो भी डाउनलोड कर सकते है |

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Khafa Shayari in Hindi

हक़ हूँ में तेरा हक़ जताया कर !!
यूँ खफा होकर ना सताया कर !!

हर बार इल्जाम हम पर लगाना ठीक नहीं !!
वफ़ा खुद से नहीं होती खफा हम पर होते हो !!

खुश रहो या खफा रहो !!
मुझसे दूर रहो और दफा रहो !!

छेड़ मत हर दम न आईना दिखा !!
अपनी सूरत से ख़फ़ा बैठे हैं हम !!

लगता है आज जिंदगी कुछ खफा है !!
चलिए छोड़िये कौन सी पहली दफा है !!

तू छोड़ गयी तुझसे क्या खफा होना !!
खुदा ने ही लिखा था जुदा होना !!

जब आप खफा होते हो हमसे !!
तो यह जिंदगी बड़ी बेजार सी लगती है !!

खफा होना मगर यह सोच कर !!
मनाने का चलन कब जा चुका है !!

यह रात भी मुझसे खफा हो गई !!
तुम बदल चुके हो !!
यह कहकर मुझसे दूर हो गई !!

हर बात पर खफा होता है वो !!
थोड़ा नादान दिल का है वो !!
पर जैसा भी है मेरी जान है वो !!

ना मायूसी का आलम है !!
ना कोई मोहब्बत का रंग !!
मेरे टूटे दिल मेंतन्हाइयो का सफर है.

दिल से तेरी याद को जुदा तो नहीं किया !!
रखा जो तुझे याद कुछ बुरा तो नहीं किया !!
हमसे तू नाराज है किस लिए बता जरा !!
हमने कभी तुझे खफा तो नही किया !!

कभी बोलना वो ख़फ़ा-ख़फ़ा !!
कभी बैठना वो जुदा-जुदा !!
वो ज़माना नाज़ ओ नियाज़ का
तुम्हें याद हो कि न याद हो !!

खफा तो वो होते है !!
जिन्हे मोहब्बत ही नही हमसे !!
जुदा होने के बाद भी तेरी !!
तरक्की की इबादत करते है !!

वो हमसे खफा क्या हुई मानो !!
जैसे दुनिया बिरान सी लगने लगी !!

तू क्यो खफा है ये बात मुझे पता है !!
पर ये बता क्या ये बात तुझे पता है !!

होठों से दुआ रूह को छू कर जाती है !!
दिल से खफा खुद को लूट जाती है !!

प्यार तो उन्हे मिलता है जो दिखावा करते है !!
सच्चे प्यार करने वालो को सिर्फ गम ही मिलते है !!

वो हमसे कुछ इस कदर खफा हुई !!
जब हम उनकी मोहब्बत में फिदा हो गये !!

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Khafa Shayari

वो हमसे कुछ इस कदर खफा होने लगे है !!
साथ रहकर भी न जाने क्यो तन्हा दिखने लगे है !!

वफा निभाते निभाते जाने कब वो !!
हमसे खफा हो गए पता ही नही चला !!

वो आए थे मेरा दुख-दर्द बाँटने के लिए !!
मुझे खुश देखा तो खफा होकर चल दिये !!

हर बार इल्जाम हम पर लगाना ठीक नहीं !!
वफ़ा खुद से नहीं होती खफा हम पर होते हो !!

अजीब शख्स है नाराज हो के हंसता है !!
मैं चाहता हूँ खफा हो तो खफा ही लगे !!

अब तो हर शहर में उसके ही क़सीदे पढ़िए !!
वो जो पहले ही ख़फ़ा है वो ख़फ़ा और सही !!

लेक मैं ओढूँ बिछाऊँ या लपेटूँ क्या करूँ !!
रूखी फीकी ऐसी सूखी मेहरबानी आप की !!

मुझको हसरत कि हक़ीक़त में न देखा उसको !!
उसको नाराज़गी क्यूँ ख़्वाब में देखा था मुझे !!

सुन बेवफा माना मौसम भी बदलते है मगर धीरे-धीरे !!
पर तेरे बदलने की रफ्तार से तो हवाए भी हैरान है !!

या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से !!
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है !!

इश्क़ में तहज़ीब के हैं और ही कुछ फ़लसफ़े !!
तुझ से हो कर हम ख़फ़ा ख़ुद से ख़फ़ा रहने लगे !!

वो आए थे मेरा दुख-दर्द बाँटने के लिए !!
मुझे खुश देखा तो ख़फ़ा होकर चल दिये !!

नाराज़गी न हो तो मोहब्बत है बे-मज़ा !!
हस्ती ख़ुशी भी ग़म भी है नफ़रत भी प्यार भी !!

कभी बोलना वो ख़फ़ा ख़फ़ा कभी बैठना वो जुदा जुदा !!
वो ज़माना नाज़ ओ नियाज़ का तुम्हें याद हो कि न याद हो !!

खफा नहीं हूँ तुझसे ए-जिंदगी !!
बस ज़रा दिल लगा बैठा हूँ इन उदासियों से !!

मनाऊ भी तो मनाऊ उसे कैसे !!
जो रूठा नहीं बदल गया हैं !!

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम !!
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ !!

वो खामखाँ ही मुझसे ख़फा ख़फा है !!
छोड़ो मेरा इश्क़ तो एक तरफा है !!

अजीब शख्स है भेद ही ना खुलते उसके !!
जब भी देखूं तो दुनिया से खफा ही देखूं !!

उससे खफा होकर देखेंगे एक दिन !!
कि उसके मनाने का अंदाज़ कैसा है !!

छेड़ मत हर दम ना आईना दिखा !!
अपनी सूरत से ख़फ़ा बैठे हैं हम !!

आखिर देता मुझे ये कैसी सजा भी तू !!
है गलती भी तेरी और खफ़ा भी है तू !!

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Narazgi shayari in hindi

इतना तो बता जाओ खफा होने से पहले !!
वो क्या करें जो तुम से खफा हो नहीं सकते !!

तू छोड़ गयी अकेला तुझसे क्या खफा होना !!
खुदा ने ही लिखा था तुझसे जुदा होना !!

तेरी दोस्ती हम इस तरह निभाएँगे !!
तुम रोज़ खफा होना हम रोज़ मनाएँगे !!

वो तुझे भूल ही गया होगा !!
इतनी देर कोई खफा नहीं रहता !!

हक़ हूँ में तेरा हक़ जताया कर !!
यूँ खफा होकर ना सताया कर !!

लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझसे !!
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझसे !!

हुस्न यूँ इश्क़ से नाराज है अब !!
फूल खुशबू से खफा हो जैसे !!

उसके होंठों पे कभी बददुआ नहीं होती !!
बस इक माँ है जो मुझसे कभी खफा नहीं होती !!

गुनाह करके सजा से डरते है !!
ज़हर पी के दवा से डरते हैं !!

दुश्मनो के सितम का खौफ नही हमे !!
बस दोस्तो के खफा होने से डरते है !!

जिस की हवस के वास्ते दुनिया हुई अज़ीज़ !!
वापस हुए तो उसकी मोहब्बत ख़फ़ा मिली !!

वो दिल न रहा जा नाज़ उठाऊँ !!
मैं भी हूँ ख़फ़ा जो वो ख़फ़ा है !!

मैं ने रो कर गुज़ार दी ऐ अब्र !!
जैसे तू ने बरस के काटी है !!

या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से !!
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है !!

ख़फ़ा हैं फिर भी आ कर छेड़ जाते हैं , तसव्वुर में !!
हमारे हाल पर कुछ मेहरबानी अब भी होती है !!

दौड़ती भागती ज़िन्दगी में बस यही तोहफा है !!
खूब लुटाते रहे अपनापन फिर भी लोग खफा है !!

ख़फ़ा तुम से हो कर ख़फ़ा तुम को कर के !!
मज़ाक़-ए-हुनर कुछ फ़ुज़ूँ चाहता हूँ !!

उस से खफा होकर भी देखेंगे एक दिन !!
की उसके मानाने का अंदाज़ कैसा है !!

रूठ जाना तो मोहब्बत की अलामत है मगर !!
क्या खबर थी मुझ से वो इतना खफा हो जाएगा !!

थोड़ी थोड़ी ही सही मगर बातें तो किया करो !!
चुपचाप रहती हो तो खफा-खफा सी लगती हो !!

मैंने गुजारनी है ज़िन्दगी तेरी बन्दिगी में !!
भले ही मुझसे मेरा खुदा खफा क्यों न हो !!

ख़ुदाई को भी हम न ख़ुश रख सके !!
ख़ुदा भी ख़फ़ा का ख़फ़ा रह गया !!

लगता है आज जिंदगी कुछ खफा है !!
चलिए छोड़िये !! कौन सी पहली दफा है !!

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Narazgi in hindi

ख़फ़ा तुम से हो कर ख़फ़ा तुम को कर के !!
मज़ाक़-ए-हुनर कुछ फ़ुज़ूँ चाहता हूँ !!

हमारे दिल न देने पर ख़फ़ा हो !!
लुटाते हो तुम्हीं ख़ैरात कितनी !!

या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से !!
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है !!

वो खामखाँ ही मुझसे ख़फा ख़फा है !!
छोड़ो मेरा इश्क़ तो एक तरफा है !!

यही हालात इब्तिदा से रहे !!
लोग हम से ख़फ़ा ख़फ़ा से रहे !!

यों लगे दोस्त तेरा मुझसे ख़फा हो जाना !!
जिस तरह फूल से ख़ुश्बू का जुदा हो जाना !!

एक ही फ़न तो हम ने सीखा है !!
जिस से मिलिए उसे ख़फ़ा कीजे !!

क्या कहूँ क्या है मेरे दिल की ख़ुशी !!
तुम चले जाओगे ख़फ़ा हो कर !!

हुस्न यूँ इश्क़ से नाराज़ है अब !!
फूल ख़ुश्बू से ख़फ़ा हो जैसे !!

हमारे दिल न देने पर ख़फ़ा हो !!
लुटाते हो तुम्हीं ख़ैरात कितनी !!

ख़फ़ा हैं फिर भी आ कर छेड़ जाते हैं तसव्वुर में !!
हमारे हाल पर कुछ मेहरबानी अब भी होती है !!

ख़फ़ा तुम से हो कर ख़फ़ा तुम को कर के !!
मज़ाक़-ए-हुनर कुछ फ़ुज़ूँ चाहता हूँ !!

छेड़ मत हर दम न आईना दिखा !!
अपनी सूरत से ख़फ़ा बैठे हैं हम !!

हर एक शख्स खफा मुझसे अंजुमन में था !!
क्योंकि मेरे लब पे वही था जो मेरे मन में था !!

उस से खफा होकर भी देखेंगे एक दिन !!
के उसके मानाने का अंदाज़ कैसा है !!

तोड़कर अहदे-करम न आशना हो जाइये !!
बंदा परवर जाइये अच्छा खफा हो जाइये !!

रुठने का हक हैं तुझे पर वजह बताया कर !!
खफा होना गलत नहीं तू खता बताया कर !!

जिस की हवस के वास्ते दुनिया हुई अज़ीज़ !!
वापस हुए तो उसकी मोहब्बत ख़फ़ा मिली !!

क्या कहूँ क्या है मेरे दिल की ख़ुशी !!
तुम चले जाओगे ख़फ़ा हो कर !!

ख़ुदाई को भी हम न ख़ुश रख सके !!
ख़ुदा भी ख़फ़ा का ख़फ़ा रह गया !!

काश कोई मिले इस तरह के फिर जुद़ा ना हो !!
वो समझे मेरे मिज़ाज़ को औऱ कभी खफ़ा ना हो !!

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Kisi se itna bhi naraz na ho

लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझसे !!
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझसे !!

इस जमाने में निभाने वाले ही तो नही मिलते जनाब !!
चाहने वाले तो हर मोड़ पर मिल जाया करते है !!

कुछ इसलिए भी लोग अकसर खफा रहते है मुझसे !!
क्योंकि मेरे लब वही कहते है जो मेरे दिल में होता है !!

रुठने का हक हैं तुझे पर वजह बताया कर !!
खफा होना गलत नहीं तू खता बताया कर !!

जिस की हवस के वास्ते दुनिया हुई अज़ीज़ !!
वापस हुए तो उसकी मोहब्बत ख़फ़ा मिली !!

नज़र में ज़ख्मे तबस्सुम छुपा छुपा के मिला !!
खफा तो था वो मगर मुझ से मुस्कुरा के मिला !!

बे-सबक बात बढ़ाने की जरूरत क्या है !!
हम खफा कब थे मनाने की जरूरत क्या है !!

यूँ लगे दोस्त तेरा मुझसे खफ़ा हो जाना !!
जिस तरह फूल से खुशबू का जुदा हो जाना !!

छेड़ मत हर दम न आईना दिखा !!
अपनी सूरत से ख़फ़ा बैठे हैं हम !!

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम !!
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ !!

इक तेरी बे-रुख़ी से ज़माना ख़फ़ा हुआ !!
ऐ संग-दिल तुझे भी ख़बर है कि क्या हुआ !!

इश्क़ में तहज़ीब के हैं और ही कुछ फ़लसफ़े !!
तुझ से हो कर हम ख़फ़ा ख़ुद से ख़फ़ा रहने लगे !!

मेरी बेताबियों से घबरा कर !!
कोई मुझ से ख़फ़ा न हो जाए !!

मेरे दोस्त की पहचान यही काफी है !!
वो हर शख्स को दानिस्ता खफा करता है !!

क्या कहूँ क्या है मेरे दिल की ख़ुशी !!
तुम चले जाओगे ख़फ़ा हो कर !!

वो दिल न रहा जा नाज़ उठाऊँ !!
मैं भी हूँ ख़फ़ा जो वो ख़फ़ा है !!

एक ही फ़न तो हम ने सीखा है !!
जिस से मिलिए उसे ख़फ़ा कीजे !!

जिस की हवस के वास्ते दुनिया हुई अज़ीज़ !!
वापस हुए तो उसकी मोहब्बत ख़फ़ा मिली !!

वो तुझे भूल ही गया होगा !!
इतनी देर कोई खफा नहीं रहता !!

वो आए थे मेरा दुख-दर्द बाँटने के लिए !!
मुझे खुश देखा तो खफा होकर चल दिये !!

हर बार इल्जाम हम पर लगाना ठीक नहीं !!
वफ़ा खुद से नहीं होती खफा हम पर होते हो !!

अजीब शख्स है नाराज हो के हंसता है !!
मैं चाहता हूँ खफा हो तो खफा ही लगे !!

उस से खफा होकर भी देखेंगे एक दिन !!
की उसके मानाने का अंदाज़ कैसा है !!

लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझसे !!
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझसे !!

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Narazgi wali shayari

गुनाह करके सजा से डरते है !!
ज़हर पी के दवा से डरते हैं !!

दुश्मनो के सितम का खौफ नही हमे !!
बस दोस्तो के खफा होने से डरते है !!

ख़फ़ा तुम से हो कर ख़फ़ा तुम को कर के !!
मज़ाक़-ए-हुनर कुछ फ़ुज़ूँ चाहता हूँ !!

बे-सबक बात बढ़ाने की जरूरत क्या है !!
हम खफा कब थे मनाने की जरूरत क्या है !!

वो अपना जिस्म सारा सौंप देना मेरी आँखों को !!
मिरी पढ़ने की कोशिश आप का अख़बार हो जाना !!

कभी जब आँधियाँ चलती हैं हम को याद आता है !!
हवा का तेज़ चलना आप का दीवार हो जाना !!

बहुत दुश्वार है मेरे लिए उस का तसव्वुर भी !!
बहुत आसान है उस के लिए दुश्वार हो जाना !!

किसी की याद आती है तो ये भी याद आता है !!
कहीं चलने की ज़िद करना मिरा तय्यार हो जाना !!

कहानी का ये हिस्सा अब भी कोई ख़्वाब लगता है !!
तिरा सर पर बिठा लेना मिरा दस्तार हो जाना !!

मोहब्बत इक न इक दिन ये हुनर तुम को सिखा देगी !!
बग़ावत पर उतरना और ख़ुद-मुख़्तार हो जाना !!

हुस्न यूँ इश्क़ से नाराज है अब !!
फूल खुशबू से खफा हो जैसे !!

मैं न अच्छा न बुरा निकला !!
मुझसे हर शख़्स क्यूँ ख़फ़ा निकला !!

रहा भलाई का ज़माना नहीं !!
यही हर बार तजुर्बा निकला !!

जिसको देखा नहीं किसी ने कभी !!
ये गजब है कि वो ख़ुदा निकला !!

चाहने वालों में तेरे सबसे अव्वल !!
मेरा ही नाम हर दफ़ा निकला !!

देख कर होश खो बैठी यशोदा !!
लाल के मुँह में कहकशां निकला !!

शाद तेरा इश्क़ एक तरफ़ा था !!
फिर क्यूँ कहना वो बेवफ़ा निकला !!

ख़फ़ा होना ज़रा सी बात पर तलवार हो जाना !!
मगर फिर ख़ुद-ब-ख़ुद वो आप का गुलनार हो जाना !!

किसी दिन मेरी रुस्वाई का ये कारन न बन जाए !!
तुम्हारा शहर से जाना मिरा बीमार हो जाना !!

हमसे कुछ उखड़े-उखड़े से हैं वो !!
हमने तो की वफ़ा फिर खफ़ा क्यो हैं वो !!

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Narazgi pe shayari

ये दिल ज़िन्दगी से खफा हो चला था !!
इसे फिर से जीने के बहाने तुम बने !!

लगता है आज जिंदगी कुछ खफा है !!
चलिए छोड़िये कौन सी पहली दफा है !!

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ !!
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ !!

कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख !!
तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ !!

पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो !!
रस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए आ !!

नज़र नीची किए उस का गुज़रना पास से मेरे !!
ज़रा सी देर रुकना फिर सबा-रफ़्तार हो जाना !!

बेवजह मुझसे फिर ख़फ़ा क्यों है !!
ये कहानी ही हर दफ़ा क्यों है !!

कुछ भी मजबूरी तो नहीं दिखती !!
मैं क्या जानूं वो बेवफ़ा क्यों है !!

ज़िंदगी से एक दिन मौसम ख़फ़ा हो जाएँगे !!
रंग ए गुल और बू ए गुल दोनों हवा हो जाएँगे !!

आँख से आँसू निकल जाएँगे और टहनी से फूल !!
वक़्त बदलेगा तो सब क़ैदी रिहा हो जाएँगे !!

फूल से ख़ुश्बू बिछड़ जाएगी सूरज से किरन !!
साल से दिन वक़्त से लम्हे जुदा हो जाएँगे !!

कितने पुर-उम्मीद कितने ख़ूबसूरत हैं ये लोग !!
क्या ये सब बाज़ू ये सब चेहरे फ़ना हो जाएँगे !!

यूँ तो आपस में बिगड़ते हैं ख़फ़ा होते हैं !!
मिलने वाले कहीं उल्फ़त में जुदा होते हैं !!

हैं ज़माने में अजब चीज़ मोहब्बत वाले !!
दर्द ख़ुद बनते हैं ख़ुद अपनी दवा होते हैं !!

हाल-ए-दिल मुझ से न पूछो मिरी नज़रें देखो !!
राज़ दिल के तो निगाहों से अदा होते हैं !!

ख़फ़ा अगरचे हमेशा हुए मगर अब के !!
वो बरहमी है कि हम से उन्हें गिले भी नहीं !!

देर से आने पर वो ख़फ़ा था आख़िर मान गया !!
आज मैं अपने बाप से मिलने क़ब्रिस्तान गया !!

हम ज़रा क्या ख़फ़ा हो गए !!
आप तो बेवफ़ा हो गए !!

जान थे आप मेरे कभी !!
जान लेकिन जुदा हो गए !!

है बहुत ही बड़ा मसअला !!
आप ही मसअला हो गए !!

चाहते थे मुझे और अब !!
जाने किसपर फ़िदा हो गए !!

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Naraj hone par shayari

रूठ जाना तो मोहब्बत की अलामत है मगर !!
क्या खबर थी वो इतना खफा हो जाएगा !!

तू छोड़ गयी अकेला तुझसे क्या खफा होना !!
खुदा ने ही लिखा था तुझसे जुदा होना !!

इतना तो बता जाओ खफा होने से पहले !!
वो क्या करें जो तुम से खफा हो नहीं सकते !!

उनसे खफा होकर भी देखेंगे एक दिन !!
कि उनके मनाने का अंदाज़ कैसा है !!

अजीब शख्स है भेद ही ना खुलते उसके !!
जब भी देखूं तो दुनिया से खफा ही देखूं !!

थोड़ी ही सही मगर बाते तो किया करो !!
चुपचाप रहते हो तो खफा से लगती हो !!

तोड़कर अहदे-करम न आशना हो जाइये !!
बंदापरवर जाइये अच्छा खफा हो जाइये !!

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम !!
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ !!

इक उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी महरूम !!
ऐ राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ !!

अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम को तुझ से हैं उम्मीदें !!
ये आख़िरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ !!

दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे !!
उदासियों में भी चेहरा खिला खिला ही लगे !!

वो सादगी न करे कुछ भी तो अदा ही लगे !!
वो भोल-पन है कि बेबाकी भी हया ही लगे !!

ये ज़ाफ़रानी पुलओवर उसी का हिस्सा है !!
कोई जो दूसरा पहने तो दूसरा ही लगे !!

नहीं है मेरे मुक़द्दर में रौशनी न सही !!
ये खिड़की खोलो ज़रा सुब्ह की हवा ही लगे !!

अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है !!
मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे !!

हसीं तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ सा !!
जो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे !!

हज़ारों भेस में फिरते हैं राम और रहीम !!
कोई ज़रूरी नहीं है भला भला ही लगे !!

मिलने को यूँ तो मिला करती हैं सब से आँखें !!
दिल के आ जाने के अंदाज़ जुदा होते हैं !!

ऐसे हंस हंस के न देखा करो सब की जानिब !!
लोग ऐसी ही अदाओं पे फ़िदा होते हैं !!

अभी से मेरे रफ़ूगर के हाथ थकने लगे !!
अभी तो चाक मिरे ज़ख़्म के सिले भी नहीं !!

परवाह नहीं अगर ये जमाना खफा रहे !!
बस इतनी सी दुआ है की आप मेहरबां रहे !!

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