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Judai Shayari
हर आग़ाज़ पहुंचता है अंजाम को
मिलन का पीछा करती है जुदाई .
उसको जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ
अब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ .
जाने उसकी जुदाई क्या होगी
जिसका मिलना ही हादसा है मुझे .
पीली पीली रुत जुदाई की अचानक आएगी
क़ुर्बतों का सब्ज़ मौसम बेवफ़ा हो जाएगा .
हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई था अगर
फिर ये हंगामा मुलाक़ात से पहले क्या था .
मैं टूट जाता हूँ और दूर जा बिखरता हूँ
अगर जुदाई का सदमा ज़रा भी होता है .
जिसकी आँखों में कटी थीं सदियां
उसने सदियों की जुदाई दी है .
मुस्कुराने कि आदत भी कितनी महेंगी पड़ी
हमे छोड़ गया वो ये सोच कर कि हम जुदाई में खुश हैं .
जुदा हुए हैं बहुत से लोग एक तुम भी सही
अब इतनी सी बात पे क्या जिंदगी हैरान करें .
जुदा हो कर भी जी रहे हैं मुद्दत से
कभी कहते थे दोनों कि जुदाई मार डालेगी .
कट ही गई जुदाई भी कब ये हुआ कि मर गए
तेरे भी दिन गुजर गए मेरे भी दिन गुजर गए .
किसी से जुदा होना इतना आसान होता तो
जिस्म से रूह को लेने फ़रिश्ते नहीं आते .
अब बुझा दो ये सिसकते हुए यादों के चिराग
इनसे कब हिज्र कि रातों में उजाला होगा .
तेरी तस्वीर को सीने से लगा लेती हूँ
इस तरह जुदाई का गम मिटा लेती हूँ .
मोहब्बत रब से हो तो सुकून देती हैं
न खतरा हो जुदाई का न डर हो बेवफाई का .
मुस्कुराने की आदत भी कितनी महँगी पड़ी हमे
छोड़ गया वो ये सोच कर की हम जुदाई मे भी खुश है .
इस मेहरबाँ नज़र की इनायत का शुक्रिया
तोहफ़ा दिया है ईद पे हम को जुदाई का .
ऐ चाँद चला जा क्यूँ आया है तू मेरी चौखट पर
जुदा गया वो शख्स जिस के धोखे मे तुझे देखते थे .
तुम क्या जानो तुम क्या समझो बात मेरी तन्हाई की
जब अंगड़ाई पे अँगड़ाई लेती है रात जुदाई की .
तुझसे जुदा होने का जहर पी लिया यारा मैंने
जैसे था मुमकिन बस फिर भी जी लिया यारा मैंने .
अंगड़ाई पे अँगड़ाई लेती है रात जुदाई की
तुम क्या जानो तुम क्या समझो बात मेरी तन्हाई की .
जुदा किसी से किसी का ग़रज़ हबीब न हो
ये दाग़ वो है कि दुश्मन को भी नसीब न हो .
कोई वादा नहीं फिर भी तेरा इंतज़ार है
जुदाई के बाद भी तुम से प्यार है .
तेरे ना होने से जिंदगी में बस इतनी सी कमी रहती है
मैं चाहे लाख मुस्कुराऊ इन आँखों में नमी ही रहती हैं .
यूँ लगे दोस्त तेरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना
जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना .
मैं समझा था कि लौट आते हैं जाने वाले
तू ने जाकर तो जुदाई मेरी क़िस्मत कर दी .
जुदा हुए हैं कई लोग एक तुम भी सही
इतनी सी बात पे जिंदगी तू हैरान क्यों हैं .
जुदाई भी सह रहे हैं और कुछ ना कह रहे हैं
ऐ बेवफा हम अब भी तेरा मान रख रहे हैं .
उस शख्स को बिछड़ने का सलीका नहीं आता
जाते जाते खुद को मेरे पास छोड़ गया .
जुदाई हो अगर लम्बी तो अपने रूठ जाते है
बहुत ज्यादा परखने से भी रिश्ते टूट जाते है .
मुमकिन फैसलों में एक हिज्र का फैसला भी था
हम ने तो एक बात की उसने कमाल कर दिया .
जिसकी आँखों में कटी थी सदियाँ
उसने सदियों की जुदाई दी है .
जाने उस की जुदाई क्या होगी
जिसका मिलना ही हादसा है मुझे .
महीने वस्ल के घड़ियों की सूरत उड़ते जाते हैं
मगर घड़ियां जुदाई की गुज़रती हैं महीनों में .
मेरे और उस के दरमियां निकला
उम्र भर की जुदाई का रिश्ता .
अब जुदाई के सफ़र को मेरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आकर न परेशान करो .
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें .
इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की
आज पहली बार उस से मैं ने बेवफ़ाई की .
बीमार-ए-मोहब्बत का ख़ुदा है जो सँभल जाए
है शाम भी मख़दूश जुदाई की सहर भी .
उसे हम छोड़ दें लेकिन बस इक छोटी सी उलझन हैं
सुना है दिल से धड़कन की जुदाई मौत होती है .
कोशिश तो होती है कि तेरी हर ख़्वाइश पूरी करूँ
पर डर लगता है कि तू ख़्वाइश में कहीं मुझसे जुदाई ना माँग ले .
जुदाई हल नहीं है मसलों का
समझते क्यों नहीं बात मेरी .
इतना बेताब न हो मुझसे बिछड़ने के लिए
तुझे आँखों से नहीं मेरे दिल से जुदा होना है .
कितने बरसों का सफर खाक हुआ
उसने जब पूछा कहो कैसे आना हुआ .
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Judai shayari in hindi
ये और बात है की वो निभा न सके
मगर जो किए थे उन्होंने वो वादे गजब के थे .
मुदत बाद मिले तो मेरा नाम पूंछ लिया उसने
बिछड़ते वक़्त जिसने कहा था की तुम याद बहुत आओगे .
मत चाहो किसी को इतना के बाद में रोना पड़े
क्यों के दुनिया दिल से नहीं ज़रुरत से प्यार करती है .
ख़ुश्क ख़ुश्क सी पलकें और सूख जाती हैं
मैं तेरी जुदाई में इस तरह भी रोता हूँ .
तेरी जुदाई भी हमें प्यार करती है
तेरी याद बहुत बेकरार करती है .
ना मेरी नीयत बुरी थी ना उसमे कोई बुराई थी
सब मुक़द्दर का खेल था बस किस्मत में जुदाई थी .
लफ़्ज़ो मे बाते बया कर पाते तो कब का
कर देते मगर बयां करना नही आता हमे .
मेरी हर बात से अब इग्नोर करने लगा है वो
जुदाई का लगता है मन बना चुका है वो .
जुदाई का जहर पी लेते है
क्योकि हम मरते नही जी रहते है .
जुदाई तुझसे इश्क में सही नहीं जाती
जो दिल में बात है वो लबों से कही नही जाती .
इश्क और इबादत कहां जुदा है
जिस पर आ जाए वहीं खुदा है .
इतना बेताब न हो मुझसे बिछड़ने के लिए
तुझे आँखों से नहीं मेरे दिल से जुदा होना है .
उसकी जुदाई को लफ़्ज़ों मे कैसे बयान करे
वो रहती दिल में धडकती दर्द मे और बहती अश्क में .
अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की तुम
क्या समझो तुम क्या जानो बात मेरी तन्हाई की .
तेरे प्यार ने मेरी शायरी बना दी
पर तेरी जुदाई ने मुझे शायर बना दिया .
मिटा ना पाओगें मेरे निशा दिल से
मिलने से जुदाई तक बेशुमार हुं में .
ना शौक दीदार का ना फिक्र जुदाई की
बड़े खुश नसीब हैँ वो लोग जो मोहब्बत नहीँ करतेँ .
उनकी जुदाई ने मेरे लफ्ज़ इतने गहरे कर दिये है
कि जिसने भी पढ़ें दूरियां सी बनने लगा है .
मरने के तमाम साधन है
पर मैं तेरी जुदाई से मर जाऊंगा .
दूर जा कर भी मेरी रूह में मौजूद न रह
तू कभी अपनी जुदाई भी तो सहने दें मुझे .
जुदाई का दर्द लिखूँ या मिलन का तराना लिखूँ
मैं कैसे चंद लफ़्ज़ों में अपना सारा प्यार लिखूँ .
किसने बनाया है यें बिछड़ने का रिवाज
उससे कहो लोग़ मर भी सकते हैं जुदाई में .
आज तक याद है वो शाम-ए-जुदाई का समाँ
तेरी आवाज़ की लर्ज़िश तिरे लहजे की थकान .
मिटा ना पाओगें मेरे निशा दिल से
मिलने से जुदाई तक बेशुमार हुं में .
हमेशा के लिए बिछड़ा कोई
जुदाई गूंजती है जिस्म व जान में .
मोहब्बत एक तरफा होती तो जुदाई सह भी लेते
दर्द तो इस बात का है कि मोहब्बत उसे भी थी .
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो .
आपकी आहट दिल को बेकरार करती है
नज़र तलाश आपको बार-बार करती है .
यूं तो किसी चीज के मोहताज नही
हम बस एक तेरी आदत सी हो गयी है .
अब जुदाई के सफ़र को मेरे आसान करो
तुम ख़्वाब में आकर मुझे परेशान न करो .
जुदाई सहने का अंदाज कोई मुझसे सीखे
रोते है मगर आँखो मे आँसूं नही होते .
मुझसे मोहब्बत नहीं तो रोते क्यों हो
तन्हाई में मेरे बारे में सोचते क्यों हो .
तेरे न होने से ज़िन्दगी में बस इतने से काम रहते है
मैं चाहे लाख मुस्कुराओ इन आँखों में नम ही रहते हैं .
उनके सीनो में कभी झांक कर तो देखो तो
सही कितना रोते हैं तन्हाई में औरों को हंसाने वाले .
बड़ी हिम्मत दी उसकी जुदाई ने ना अब किसी
को खोने का दुःख ना किसी को पाने की चाह .
उनकी तस्वीर को सीने से लगा लेते है
इस तरह जुदाई का गम उठा लेते है .
कभी कभी तो ये दिल में सवाल उठता है
कि इस जुदाई में क्या उस ने पा लिया होगा .
आप को पा कर अब खोना नहीं चाहते
इतना खुश हैं कि अब रोना नहीं चाहते .
बड़ी हिम्मत दी उसकी जुदाई ने ना अब किसी
को खोने का दुःख ना किसी को पाने की चाह .
आओ किसी रोज मुझे टूट के बिखरता देखो
मेरी रगों में ज़हर जुदाई का उतरता देखो .
दिल लेकर मेरा अब जान मांगते है
कैसा संगदिल है सनम मेरा
प्यार सीखा कर वो जुदाई मांगते है
आँख अब तेरी जुदाई पे खुली
आंख अब तेरी जुदाई पे खुली
होश में तुझ को गंवाकर आया
नज़र की इनायत का शुक्रिया
इस मेहरबाँ नज़र की इनायत का शुक्रिया
तोहफ़ा दिया है ईद पे हम को जुदाई का
घड़ियों की सूरत उड़ते जाते हैं
न बहलावा न समझौता जुदाई सी जुदाई है
अदा सोचो तो ख़ुशबू का सफ़र आसाँ नहीं होता
ग़म जुदाई का तुमको ही सहना है
ग़म जुदाई का मेरा क्या है
मैं तो मर जाऊंगी
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Intezaar judai shayari
रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था
उसको रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला
अंजाम जुदाई था अगर
ये मुलाक़ात आख़िरी तो नहीं
हम जुदाई के डर से पूछते हैं
मुस्कुराने कि आदत भी कितनी
महेगी पड़ी हमे छोड़ गया वो ये
सोच कर कि हम जुदाई मे खुश है
जुदा तो बहुत सारे लोग हुए हमसे
लेकिन तुम्हारी जुदाई ने हमे
तन्हा महसूस करा गए
अब के हम बिछड़े तो शायद
कभी ख़्वाबों में मिलें जिस तरह
सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
जिसकी फ़िक्र थी कभी मेरी
मुझसे भी ज्यादा आज वही
क्यों अजनबी सा बन गया है
तेरे जाने के बाद सनम मेरे सोचता हूँ
के कैसे जिऊंगा मैं तुझसे प्यार किया है
इसीलिए वादा ये जुदाई का ज़हर भी पिऊंगा मैं
तुमने तो मुझसे वफ़ा की
फिर क्यों तुम्हें अफ़सोस गम ऐ जुदाई का है
दगा तो की है मैंने तेरे साथ
फिर क्यों तुम्हें अफ़सोस मेरी बेवफाई का है
जुदाई की घड़ी में अगर कोई हसीना मिल जाए
तो यूं समझना की सावन का महीना मिल जाए
जोहरी अपने आप को तुम उस वक्त समझना
जब आपको गलियों में कोई नगीना मिल जाए
नहीं था यकीन कभी मुझे
मिलना पड़ेगा जुदाई के बाद
फिर भड़क उठगेंगे जज़्बात मेरे
तुम्हारी उस बेवफाई के बाद
गम नहीं है मुझे तेरी जुदाई का
अफसोस है तूने औरों का आशियाँ बसा दिया
तूने पैसे को अहमियत दी वफा से ज्यादा
पैसे के लिए ही तूने मेरा जहाँ ठुकरा दिया
Shayari judai
हर महफ़िल से जो निकाला गया हो
उससे पूछो रुस्वाई का दर्द
ठोकर खा कर जो बैठा हो
उससे पूछो इश्क में जुदाई का दर्द
ना मेरा दिल बुरा था
ना उसमे कोई बुराई थी
सब मुक़द्दर का खेल है
बस किस्मत में जुदाई थी
हम ने माँगा था साथ उनका
वो जुदाई का गम दे गए
हम यादो के सहारे जी लेते
वो भुल जाने की कसम दे गए
हो जुदाई का सब कुछ भी
मगर हम उसे अपनी खता कहते हैं
वो तो साँसों में बसी है मेरे
जाने क्यों लोग मुझसे जुदा कहते हैं
तेरा तो है हिसाब बरसों का
मैं तो लम्हों में रोज़ जीता हूँ
हिज्र में है ये ज़िन्दगी गुज़री
ग़म जुदाई का रोज़ पीता हूँ
हमने तो ऊमर गुज़ार दी तन्हाई में
सह लिए सित्तम तेरी जुदाई में
अब तो यह फ़रियाद है खुदा से
कोई और ना तड़पे तेरी बेवफ़ाई में
क़र्ज़ गम का चुकाना पड़ा है
रो के भी मुस्कुराना पड़ा है
सच को सच कह दिया इसी पर
मेरे पीछे जमाना पड़ा है
किसी लिबास की ख़ुशबू जब उड़ के आती है
तेरे बदन की जुदाई बहुत सताती है
तेरे बगैर मुझे चैन कैसे पड़ता है
मेरे बगैर तुझे नींद कैसे आती है
कभी आँसू तो कभी मुस्कान आ जाती हैं
जब तेरी याद मेरे दिल के मकान आ जाती हैं
ये इश्क़ हैं तेरा या दिल कि नादानी
हर लम्हा तेरी याद आ जाती हैं
यादो कि किमत वो क्या जाने
जो खुद खादो को मिटा दिया करते हैं
यादो का मतलब उनसे पुछो जो
सिर्फ यादो के सहारे ही जिया करते हैं
तमन्ना इश्क तो हम भी रखते हैं
हम ही किसी के दिल में धड़कते हैं
मिलना चाहते तो बहुत हैं हम आपसे
पर मिलने के बाद जुदाई से डरते हैं
उसकी जुदाई में आज यादें तड़पाती हैं
याद में उसकी अब तो रातें गुजर जाती हैं
कभी नींद नहीं आती है आँखों में
तो कभी नींद से आँखें ही मुकर जाती हैं
तेरे रास्ते में अपने दिल को बिछाकर
कितनी मन्नतों के बाद तुझे पाया है
अब कोई जुदाई मुमकिन नहीं
खुदा ने एक दूजे के लिए हमें बनाया है
दर्द होता है ठोकर खाने के बाद
दर्द ऐ जुदाई का एहसास होता है कभी कभी
दिल तो अक्सर टूटता है प्यार में
दूसरों की तड़प का एहसास होता है कभी कभी
हम प्यार तो तुमसे करते हैं
पर अफ़सोस हमें जुदाई का है
खता हमारी माफ़ हो सनम
हमें डर तुम्हारी बेवफाई का है
इश्क मासूमियत से किया हमने
फरेब करना हम नहीं जानते थे
वो दगाबाज हैं हमें पता था पर
दर्द ऐ जुदाई सहना हम नहीं जानते थे
दे दिया दिल देखें अब आप क्या करेंगे
दिल को रखेंगे दिल में या दिल से जुदा करेंगे
नहीं मोहताज दौलत का जिसे खुदा ने सूरत दी
क्या खूब लगता है चाँद बिना गहने के
दुनिया में हो चाहे जितनी बफा
सिर्फ बेवफाई नसीब हमारा है
क्यों धोखा देती हो जज़्बात को
सिर्फ जुदाई नसीब हमारा है
चाहतों का खूब सिला दिया है
तड़पना पड़ता है उसकी जुदाई के बाद
हकीकत में हैं वो गैर के पहलु में
तड़पना पड़ता है उसकी बेवफाई के बाद
जुदाई तो किस्मत में है हमारी
खुश हैं कुछ पल का प्यार तो मिला
जाते जाते भी खुशियां मेरे नाम कर गया वो
खुश हैं कि कोई ऐसा दिलदार तो मिला
जब मेरे शबाब में निखार आएगा
तुम्हें एक नई गजल लिखने का बहाना मिल जाएगा
जब होगी मेरी जुदाई सनम
तुम्हें गम ऐ जुदाई में मरने का बहाना मिल जाएगा
मुझसे तेरी जुदाई सही नहीं जाती
तेरे बिना जन्नत में रही नहीं जाती
खुदा पूछता है में उम्र से पहले क्यों आ गया
तेरी बेवफाई मुझसे कही नहीं जाती
तुमने की बेवफाई जानेमन
हमें इजाजत भी नहीं है गिला करने की
तुम हो गयीं जुदा हमसे
हमें इजाजत भी नहीं दर्दे जुदाई सहने की
तुम क्या मुझे जुदा करोगे संगदिल
तुमने कभी पास आने की इजाजत तो दी होती
एहसास ऐ वफा या गम ऐ जुदाई
महसूस तब होता जब तुमने मोहब्बत की होती
जब याद आती है तेरी बेवफाई हमें
दिल खून के आंसू रोता है तन्हाई में
जहर पीना पड़ता है जुदाई का
तड़पना पड़ता है हमें जुदाई में
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Judai shayari 2 line
उसे हम छोड़ दे लेकिन
बस एक छोटी सी उलझन है
सुना है दिल से धड़कन की
जुदाई सिर्फ मौत होती है
इंसान कहाँ मरता है औरों का मारा हुआ
इंसान को खुद उसकी तन्हाई मार देती है
यूँ तो जी भी सकता है यह यार की जुदाई में
मगर इसको तो यहाँ जग हँसाई मार देती है
तेरे जाने के बाद सनम मेरे
सोचता हूँ के कैसे जिऊंगा मैं
तुझसे किया है इसी लिए वादा
ये जुदाई का ज़हर भी पिऊंगा मैं
हो जुदाई का सब कुछ भी मगर
उसे हम अपनी खता कहते हैं
वो तो साँसों में बसी है मेरे
जाने क्यों लोग मुझसे जुदा कहते है
तेरे होते हुए भी तन्हाई मिली है
वफ़ा करके भी देखो बेवफाई मिली है
जितनी दुआ की तुम्हें पाने की मैंने
उससे ज्यादा तेरी जुदाई मिली है
आप को पा कर अब खोना नहीं चाहते
इतना खुश हैं कि अब रोना नहीं चाहते
ये आलम है हमारा आप की जुदाई में
आँखों में नींद है और सोना नहीं चाहते
सब के होते हुए भी तन्हाई मिलती है
यादों में भी गम की परछाई मिलती है
जितनी भी दुआ करते हैं किसी को पाने की
उतनी ही ज्यादा जुदाई मिलती है
आपकी आहट दिल को बेकरार करती है
नज़र तलाश आपको बार-बार करती है
गिला नहीं जो हम हैं इतने दूर आपसे
हमारी तो जुदाई भी आपसे प्यार करती है
वफ़ा की ज़ंज़ीर से डर लगता है
कुछ अपनी तक़दीर से डर लगता है
जो मुझे तुझसे जुदा करती है
हाथ की उस लकीर से डर लगता है
अकेला महसूस करो जब तन्हाई में
याद मेरी आये जब जुदाई में
मैं तुम्हारे पास हूँ हर पल
जब चाहे देख लेना अपनी परछाई में
दिल को मेरे ये एहसास भी नहीं है
कि अब मेरा मेरा यार मेरे पास नहीं है
उसकी जुदाई ने वो ज़ख्म दिया हमें
जिंदा भी न रहे और लाश भी नहीं है
तू क्या जाने क्या है तन्हाई
इस टूटे हुए दिल से पूछ क्या है जुदाई
बेवफाई का इल्ज़ाम न दे ज़ालिम
इस वक़्त से पूछ किस वक़्त तेरी याद नहीं आती
उसे हम छोड़ दे लेकिन
बस एक छोटी सी उलझन है
सुना है दिल से धड़कन की
जुदाई सिर्फ मौत होती है
हमने प्यार नहीं इश्क नहीं इबादत की है
रस्मों से रिवाजों से बगावत की है
माँगा था हमने जिसे अपनी दुआओं में
उसी ने मुझसे जुदा होने की चाहत की है
उनकी तस्वीर को सीने से लगा लेते है
इस तरह जुदाई का गम उठा लेते है
किसी तरह ज़िक्र हो जाए उनका
तो हंस कर भीगी पलके झुका लेते है
याद में तेरी कैसे दिन गुजरते है
पूछो न हमसे आलम वो जुदाई का
कांटो की तरह चुभता रहा वो लम्हा
रो-रोकर गुजरता है रास्ता हर तन्हाई का
जिस दिन से जुदा वह हमसे हुए
इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया है
चाँद का मुंह भी उतरा उतरा
तारो ने चमकना छोड़ दिया
जब वादा किया है तो निभाएंगे
सूरज बन कर छत पर आएंगे
हम हैं तो जुदाई का ग़म कैसा
तेरी हर सुबह को फूलों से सजाएंगे
ज़माना बन जाए कागज़ का
और समंदर हो जाए स्याही
का फिर भी कलम लिख नही
सकती दर्द तेरी जुदाई का
उनके ख्यालों ने कभी हमें खोने नहीं दिया
जुदाई के दर्द ने हमें खामोश होने नहीं दिया
आँखे तो आज भी उनके इंतज़ार में रोती हैं
मगर उनकी मुस्कुराहट ने हमें रोने नहीं दिया
जो नजर से गुजर जाया करते हैं
वो सितारे अक्सर टूट जाया करते हैं
कुछ लोग दर्द को बयां नहीं होने देते
बस चुपचाप बिखर जाया करते हैं
जिस दिन से जुड़ा वह हमसे हुए
इस दिल ने धड़कना छोड़ दया
है चाँद का मुंह भी उतरा उतरा
तारो ने चमकना छोड़ दिया
जब वादा किया है तो निभाएंगे
सूरज किरण बन कर छत पर आएंगे
हम हैं तो जुदाई का ग़म कैसा
तेरी हर सुबह को फूलों से सजाएंगे
मोहब्बत भी अजीब चीज़ बनाई तूने
तेरी ही मस्ज़िद मे तेरे ही मंदिर मे
तेरे ही बंदे तेरे ही सामने रोते है
पर तुजे नही किसी ओर को पाने के लिए
हर मुलाक़ात पर वक़्त का तकाज़ा हुआ
हर याद पर दिल का दर्द ताज़ा हुआ
सुनी थी सिर्फ लोगों से जुदाई की बातें
खुद पर बीती तो हक़ीक़त का अंदाज़ा हुआ
दिल तो कहता है
कि छोड जाऊँ ये दुनिया हमेशा के लिए
फिर ख्याल आता है कि वो नफरत
किस से करेगा मेरे जाने बाद
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Sad Judai Shayari
लम्हे जुदाई को बेकरार करते हैं
हालत मेरे मुझे लाचार करते हैं
आँखे मेरी पढ़ लो कभी हम खुद
कैसे कहे की आपसे प्यार करते हैं
उनकी तस्वीर को सीने से लगा लेते है
इस तरह जुदाई का गम उठा लेते है
किसी तरह ज़िक्र हो जाए उनका
तो हंस कर भीगी पलके झुका लेते है
दिल तो है जो सिर्फ तुझ पे ही मरे जा रहा है
तेरी याद में तेरी तस्बीह किये जा रहा है
अब तो ये जुदाई का गम हम से सहा नहीं जा रहा है
और एक तू है जो दूर रह कर हमें तड़पाये जा रहा है
दिल को मेरे ये एहसास भी नहीं है
कि अब मेरा मेरा यार मेरे पास नहीं है
उसकी जुदाई ने वो ज़ख्म दिया हमें
जिंदा भी न रहे और लाश भी नहीं है
कैसे मिलेंगे हमें चाहने वाले बताइये
दुनिया खड़ी है राह में दीवार की तरह
वो बेवफ़ाई करके भी शर्मिंदा ना हुए
सजाएं मिली हमें गुनहगार की तरह
याद में तेरी आहें भरता है कोई
हर सांस के साथ तुझे याद करता है कोई.
मौत सच्चाई है एक रोज आनी है
लेकिन तेरी जुदाई में हर रोज़ मरता है कोई
हमने प्यार नहीं इश्क नहीं इबादत की है
रस्मों से रिवाजों से बगावत की है
माँगा था हमने जिसे अपनी दुआओं में
उसी ने मुझसे जुदा होने की चाहत की है
कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ
गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ
रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आंसू
मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ
वो जिस्म और जान जुदा हो गए आज
वो मेहेंदी के रंग में खो गए आज
हमने चाहा जिन्हें सिद्दत से
वो उम्र भर को किसी और के हो गए आज
काश यह जालिम जुदाई न होती
ऐ खुदा तूने यह चीज़ बनायीं न होती
न हम उनसे मिलते न प्यार होता
ज़िन्दगी जो अपनी थी वो परायी न होती
वफ़ा का दरिया कभी रुकता नहीं
इश्क़ में प्रेमी कभी झुका नहीं ख़ामोशी हैं
हम किसी की ख़ुशी के लिए न सोचो
की हमारा दिल दुखता नहीं
बड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बाद मैं
आज भी रो देता हूँ मुस्कुराने के बाद तुझसे
मोहब्बत थी मुझे बेइंतेहा लेकिन अक्सर
ये महसूस हुआ तेरे जाने के बाद
वफ़ा की ज़ंज़ीर से डर लगता है
कुछ अपनी तक़दीर से डर लगता है
जो मुझे तुझसे जुदा करती है
हाथ की उस लकीर से डर लगता है
हर एक बात पर वक़्त का तकाजा हुआ
हर एक याद पर दिल का दर्द ताजा हुआ
सुना करते थे ग़ज़लों में जुदाई की बातें
खुद पे बीती तो हकीकत का अंदाजा हुआ
मजबूरी में जब कोई किसी से जुदा होता है
ये तो ज़रूरी नहीं कि वो बेवफ़ा होता है
देकर वो आपकी आँखों में जुदाई के आँसू
तन्हाई में वो आपसे भी ज्यादा रोता है
तेरी हर अदा मोहब्बत सी लगती है
एक पल की जुदाई मुद्दत सी लगती है
पहले नही सोचा था अब सोचने लगे है
हम जिंदगी के हर लम्हों में तेरी ज़रूरत सी लगती है
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते
जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो
जो लहरों में तो डूबे हैं मगर संग बह नहीं सकत
तू क्या जाने क्या है तन्हाई
इस टूटे दिल से पूछो क्या है जुदाई
बेवफाई का इलज़ाम न दे ज़ालिम इस वक़्त
से पूछो किस वक़्त तेरे याद न आई
हो जुदाई का सब कुछ भी मगर
हम उसे अपनी खता कहते हैं
वो तो साँसों में बसी है मेरे
जाने क्यों लोग मुझसे जुदा कहते हैं
आओ किसी रोज मुझे टूट के बिखरता देखो
मेरी रगों में ज़हर जुदाई का उतरता देखो
किस किस अदा से तुझे मागा है खुदा से
आओ कभी मुझे सजदो में सिसकता देखो
जिंदगी मोहताज नहीं मंज़िलों की
वक्त हर मंजिल दिखा देता है
मरता नहीं कोई किसी की जुदाई
में वक्त सबको जीना सिखा देता है
तेरे जाने के बाद सनम
सोचता हूँ की कैसे जिऊंगा मैं
तुझसे किया है इसी लिए वादा
ये जुदाई का ज़हर भी पिऊंगा मैं
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