Love Farz shayari
Farz shayari
सब है गवारा हम को मगर !!
तौहीन-ए-जज़्बात नहीं !!
हम को मिटाना मुश्किल है !!
सदियाँ हैं लम्हात नहीं !!
ज़ालिम से डरने वाले !!
क्या तेरे दो हाथ नहीं !!
उनका जो फ़र्ज़ है वो अहल ए सियासत !!
जाने मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे !!
दर्द तो अकेले ही सहते हैं सभी !!
भीड़ तो बस फर्ज अदा करती है !!
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ !!
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ !!
Farz shayari
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें !!
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें !!
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम !!
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ !!
हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा’द ये मा’लूम !!
कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी !!
तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो ‘फ़राज़ !!
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला !!
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं !!
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं !!
सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से !!
सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं !!
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