Bhagavad Gita Quotes in Hindi – भगवत गीता हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो मानव के सभी समस्याओं का समाधान अपने अंदर समाहित किए हुए हैं | यह एक ऐसा ग्रंथ है जिसका सारा उपदेश स्वयं भगवान कृष्ण ने दिया है | इसमें दिए गए उपदेशों का अनुपालन करने से हमें जीवन जीने की नई शैली प्राप्त होती है और हम सफलता की ओर अग्रसर होते हैं | इसलिए हम लेकर आये है आपके लिए एक से बढ़कर एक Bhagavad Gita Quotes in Hindi जो आपको बेहद पसंद आएगा | यहाँ से आप आसानी से कॉपी कर किसी को भेज सकते है तथा PHOTOS भी डाउनलोड कर सकते है |
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Bhagavad Gita Quotes in Hindi
हे अर्जुन धन और स्त्री सब नाश रूप है !!
मेरी भक्ति का नाश नहीं है !!
निर्बलता अवश्य ईश्वर देता है !!
किन्तु मर्यादा मनुष्य का मन ही निर्मित करता है !!
डर धारण करने से भविष्य के दुख का निवारण नहीं होता है !!
डर केवल आने वाले दुख की कल्पना ही है !!
जब भी और जहाँ भी अधर्म बढ़ेगा !!
तब मैं धर्म की स्थापना हेतु अवतार लेता रहूँगा !!
हे अर्जुन बुद्धिमान व्यक्ति को समाज कल्याण के !!
लिए बिना आसक्ति के काम करना चाहिए !!
जो लोग परमात्मा को पाना चाहते है !!
वह ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं !!
हे अर्जुन प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए !!
गंदगी का ढेर पत्थर और सोना सभी समान है !!
जो व्यक्ति मैं और मेरा इत्यादि की भावना से मुक्त हो जाता है !!
उसे जीवन में शांति की प्राप्ति होती है !!
भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मैं इस संसार की सुगंध हूं !!
अग्नि की ऊष्मा हूं और समस्त जीवित प्राणियों का आत्म संयम हूं !!
इन्द्रियो की दुनिया मे कल्पना सुखो की प्रथम शुरुआत है !!
और अन्त भी जो दुख को जन्म देता है !!
इस सम्पूर्ण संसार में कोई भी व्यक्ति महान नही जन्मा होता है !!
बल्कि उसके कर्म उसे महान बनाते हैं !!
जीवन मे कभी गुस्सा या क्रोध ना करे !!
यह आपके जीवन के ध्वंस कर देगा !!
गीता में लिखा है जब इंसान की जरूरत बदल जाती है
तब इंसान के बात करने का तरीका बदल जाता है !!
सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए !!
प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और !!
मेरा तेरा छोटा बड़ा अपना पराया मन से मिटा दो !!
फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो !!
मन की गतिविधियों होश श्वास और भावनाओं के !!
माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है !!
हे पार्थ जिस भाव से सारे लोग मेरी शरण ग्रहण करते है !!
उसी के अनुरूप मैं उन्हें फल देता हूँ !!
Karma bhagavad gita quotes in hindi
हे अर्जुन मैं वह काम हूँ !!
जो धर्म के विरुद्ध नहीं है !!
नरक के तीन द्वार होते है !!
वासना क्रोध और लालच !!
प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए गंदगी का ढेर !!
पत्थर और सोना सभी समान हैं !!
कर्म मुझे बांधता नहीं क्योंकि मुझे !!
कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं !!
जिस प्रकार अग्नि स्वर्ण को परखती है !!
उसी प्रकार संकट वीर पुरुषों को !!
समय से पहले और भाग्य से अधिक !!
कभी किसी को कुछ नही मिलता है !!
कर्म के बिना फल की अभिलाषा करना !!
व्यक्ति की सबसे बड़ी मूर्खता है !!
यह सृष्टि कर्म क्षेत्र है बिना कर्म किये !!
यहाँ कुछ भी हासिल नहीं हो सकता !!
जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके !!
लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है !!
जो दान बिना सत्कार के कुपात्र को दिया जाता है !!
वह तमस दान कहलाता है !!
अपने अनिवार्य कार्य करो क्योंकि वास्तव में !!
कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है !!
सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए !!
प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और !!
फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला !!
पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है !!
धरती पर जिस प्रकार मौसम में बदलाव आता है !!
उसी प्रकार जीवन में भी सुख-दुख आता जाता रहता है !!
लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे !!
सम्मानित व्यक्ति के लिए अपमान मृत्यु से भी बदतर है !!
आत्म-ज्ञान की तलवार से अपने ह्रदय से अज्ञान के
संदेह को काटकर अलग कर दो उठो अनुशाषित रहो !!
सफलता जिस ताले में बंद रहती है वह दो चाबियों से खुलती है !!
एक कठिन परिश्रम और दूसरा दृढ संकल्प !!
मैं भूतकाल वर्तमान और भविष्य काल के सभी जीवों को जानता हूं !!
लेकिन वास्तविकता में मुझे कोई नही जानता है !!
Shrimad bhagwat geeta quotes
जो दान कर्तव्य समझकर बिना किसी संकोच के !!
किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दिया जाए वह सात्विक माना जाता है !!
कर्म वह फसल है जिसे इंसान को हर हाल में काटना ही पड़ता है !!
इसलिए हमेशा अच्छे बीज बोए ताकि फसल अच्छी हो !!
जो लोग भक्ति में श्रद्धा नहीं रखते वे मुझे पा नहीं सकते !!
अतः वे इस दुनिया में जन्म-मृत्यु के रास्ते पर वापस आते रहते हैं !!
वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और मैं और मेरा की लालसा
और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शान्ति प्राप्त होती है !!
मनुष्य को जीवन की चुनौतियों से भागना नहीं चाहिए !!
और न ही भाग्य और ईश्वर की इच्छा जैसे बहानों का प्रयोग करना चाहिए !!
मनुष्य को परिणाम की चिंता किए बिना लोभ लालच बिना
एवं निस्वार्थ और निष्पक्ष होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए !!
जिस मनुष्य के अंदर ज्ञान की कमी और ईश्वर में श्रद्धा नहीं होती !!
वो मनुष्य जीवन में कभी भी आनंद और सफलता को प्राप्त नहीं कर पाता !!
जीवन में सफलता का ताला दो चाबियों से खुलता है !!
एक कठिन परिश्रम और दूसरा दृढ़ संकल्प !!
जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके !!
लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है !!
बिना फल की कामनाएं ही सच्चा कर्म है !!
ईश्वर चरण में हो समर्पण वही केवल धर्म है !!
मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है !!
लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है !!
प्रत्येक बुद्धिमान व्यक्ति को क्रोध और लोभ त्याग देना चाहिए
क्योंकि इससे आत्मा का पतन होता है !!
जो लोग ह्रदय को नियंत्रित नही करते है !!
उनके लिए वह शत्रु के समान काम करता है !!
व्यक्ति को आत्म ज्ञान के माध्यम से संदेह !!
रूपी अज्ञानता को समाप्त करना चाहिए !!
सत्य कभी दावा नहीं करता कि मैं सत्य हूं !!
लेकिन झूठ हमेशा दावा करता हैं कि सिर्फ मैं ही सत्य हूं !!
माफ करना और शांत रहना सीखिए ऐसी !!
ताकत बन जाओगे कि पहाड़ भी रास्ता देंगे !!
व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को वश में रखने के !!
लिए बुद्धि और मन को नियंत्रित रखना होगा !!
कठिन परिश्रम से बचने के लिए व्यक्ति को भाग्य और ईश्वर की इच्छा !!
जैसे बहानों के बजाय चुनौतियों का सामना करना चाहिए !!
गीता में कहा गया है कोई भी अपने कर्म से भाग !!
नहीं सकता कर्म का फल तो भुगतना ही पड़ता है !!
मनुष्य को अपने कर्मों के अच्छे और बुरे फल के !!
विषय में सदैव सोचकर चिंता ग्रस्त नहीं होना चाहिए !!
जो मनुष्य जिस देवता की विश्वास के साथ भक्ति करता है !!
मैं उस व्यक्ति की उसी देवता में दृढ़ता बढ़ा देता हूं !!
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Bhagwat geeta motivation in hindi
सभी काम छोड़कर बस भगवान मे पूर्ण रूप से !!
समर्पित हो जाओ मै तुम्हे सभी पापो से मुक्त कर दूंगा !!
मनुष्य जिस रूप में ईश्वर को याद करता है !!
ईश्वर भी उसे उसी रूप में दर्शन देते हैं !!
अपने कर्तव्य का पालन करना ही प्रकृति !!
द्वारा निर्धारित किया हुआ हो वह कोई पास नही है !!
सज्जन व्यक्तियों को सदैव अच्छा व्यवहार करना चाहिए !!
क्योंकि इन्हीं के पद चिन्हों पर सामान्य व्यक्ति अपने रास्ते चुनता है !!
बुद्धिमान को अपनी चेतना को एकजुट करना !!
चाहिए और फल के लिए इच्छा छोड़ देनी चाहिए !!
कोई भी इंसान जन्म से नहीं बल्कि !!
अपने कर्मो से महान बनता है !!
जब इंसान अपने काम में आनंद खोज लेते हैं !!
तब वे पूर्णता प्राप्त करते है !!
ऐसा कुछ भी नही चेतन या अचेतन !!
जो मेरे बिना अस्तित्व मे रह सकता हो !!
वह व्यक्ति जो अपनी मृत्यु के समय मुझे याद करते हुए अपना शरीर त्यागता है !!
वह मेरे धाम को प्राप्त होता है और इसमें कोई शंशय नही है !!
वह जो वास्तविकता में मेरे उत्कृष्ट जन्म और गतिविधियों को समझता है !!
वह शरीर त्यागने के बाद पुनः जन्म नहीं लेता और मेरे धाम को प्राप्त होता है !!
जो मन को नियंत्रित नहीं करते !!
उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है !!
जब इंसान की जरूरत बदल जाती है !!
तब इंसान के बात करने का तरीका बदल जाता है !!
बिना फल की कामनाएं ही सच्चा कर्म है !!
ईश्वर चरण में हो समर्पण वही केवल धर्म है !!
जब इंसान अपने काम में आनंद खोज !!
लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते है !!
माफ करना और शांत रहना सीखिए !!
ऐसी ताकत बन जाओगे कि पहाड़ भी रास्ता देंगे !!
समय जब न्याय करता है !!
तब गवाहों की आवश्यकता नहीं पडती हैं !!
हमारा खुद पर विश्वास होना बहुत ही जरूरी है !!
क्योंकि हम अपने रास्ते पर खुद चलते है !!
धैर्य रखिए कभी कभी आपको जीवन मे !!
सबसे अच्छा पाने के लिये सबसे बुरे दौर से गुजरना पड़ता है !!
मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है !!
लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है !!
मन की शांति से बढ़कर इस !!
संसार में कोई भी संपत्ति नहीं है !!
जब इंसान अपने काम में आनंद खोज !!
लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते है !!
माफ करना और शांत रहना सीखिए !!
ऐसी ताकत बन जाओगे कि पहाड़ भी रास्ता देंगे !!
कोई भी इंसान जन्म से नहीं बल्कि !!
अपने कर्मो से महान बनता है !!
बिना फल की कामनाएं ही सच्चा कर्म है !!
ईश्वर चरण में हो समर्पण वही केवल धर्म है !!
Gita lines in hindi
जब इंसान की जरूरत बदल जाती है !!
तब इंसान के बात करने का तरीका बदल जाता है !!
जो मन को नियंत्रित नहीं करते !!
उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है !!
व्यक्ति को अपने आप को सदैव ईश्वर को समर्पित कर देना चाहिए !!
तभी वह दुखों चिंता और परेशानियों से मुक्त रह सकता है !!
बुद्धिमान व्यक्ति कभी भी कामुक सुख में आनंद लेते हैं !!
वह सदैव मोक्ष की प्राप्ति में लगे रहते हैं !!
वह जो सभी इच्छाएँ त्याग देता है !!
उसे शान्ति की प्राप्त होती है !!
सम्पूर्ण संसार में जब अधर्म और पाप बढ़ता है !!
तो मैं धर्म की पुनः स्थापना के लिए धरती पर अवतार लेता हूं !!
मन की गतिविधियों होश श्वास और !!
भावनाओं के माध्यम से भगवान !!
की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है !!
मनुष्य का सम्पूर्ण शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है !!
अग्नि जल वायु आकाश और पृथ्वी !!
और अंत में उसके शरीर को इन्हीं पंचतत्वों में ही विलीन हो जाना है !!
जैसे अंधेरे में प्रकाश की ज्योति जगमगाती है !!
ठीक उसी प्रकार से सत्य की चमक भी कभी फीकी नही पड़ती !!
इसलिए व्यक्ति को सदैव सत्य बोलना चाहिए
जो व्यक्ति मृत्यु के दौरान मेरा नाम लेता है !!
वह सदैव मेरे ही धाम को प्राप्त होता है !!
इसमें कोई शक नही है !!
आत्म ज्ञान की तलवार से काटकर अपने !!
हृदय के अज्ञान के संदेह अलग कर दो !!
अनुशासित रहो उठो और कार्य करो !!
मन अवश्य ही चंचल होता है !!
लेकिन उसे अभ्यास और वैराग्य के !!
माध्यम से वश में लाया जा सकता है !!
हे पार्थ! मैंने और तुमने अपने कर्तव्यों को !!
निभाने के लिए धरती पर कई अवतार लिए हैं !!
लेकिन मुझे याद है और तुम्हें नहीं !!
इंसान हमेशा अपने भाग्य को कोसता है !!
यह जानते हुए भी कि भाग्य से भी ऊंचा !!
उसका कर्म है जिसके स्वयं के हाथों में है !!
मै उन्हे ज्ञान देता हूँ !!
जो सदा मुझसे जुड़े रहते है !!
और जो मुझसे प्रेम करते है !!
परिवर्तन संसार का नियम है !!
समय के साथ संसार मे हर चीज !!
परिवर्तन के नियम का पालन करती है !!
हालांकि मैं भूत भविष्य और वर्तमान !!
काल के तीनों जीवों को जानता हूं !!
लेकिन मुझे वास्तव में कोई नही जानता है !!
किसी भी व्यक्ति को ना तो समय से पहले !!
और ना ही भाग्य से अधिक कुछ मिलता है !!
लेकिन उसे सदैव पाने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए !!
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है !!
जैसा वह विश्वास करता है !!
वैसा वह बन जाता है !!
अपना पराया छोटा बड़ा इत्यादि को !!
भूलकर यह जानो कि यह सब तुम्हारा है !!
और तुम प्रति एक के हो !!
सच्चा धर्म यह है कि जिन बातों को इंसान !!
अपने लिए अच्छा नहीं समझता !!
उन्हें दूसरों के लिए भी प्रयोग ना करें !!
Gita gyan quotes
कोई भी व्यक्ति अपने विश्वास से बनता है !!
वह जैसा विश्वास करता है !!
उसी अनुरूप बन जाता है !!
अनेक जन्म के बाद जिसे सचमुच ज्ञान होता है !!
वह मुझको समस्त कारणों का कारण जानकर मेरी शरण में आता है !!
ऐसा महात्मा अत्यंत दुर्लभ होता है !!
भक्तों का उद्धार करने दुष्टों का विनाश करने तथा !!
धर्म की फिर से स्थापना करने के !!
लिए मैं हर युग में प्रकट होता हूँ !!
जो हुआ वह अच्छा हुआ जो हो रहा है !!
वह अच्छा हो रहा है !!
जो होगा वो भी अच्छा ही होगा !!
जो पुरुष सुख तथा दुख में विचलित नहीं !!
होता और इन दोनों में समभाव रहता है !!
वह निश्चित रूप से मुक्ति के योग्य है !!
मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ !!
सभी जीवित प्राणियों का जीवन और !!
सन्यासियों का आत्मसंयम भी मैं ही हूँ !!
मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय !!
किन्तु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते हैं !!
वो मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ हूँ !!
जो लोग निरंतर भाव से मेरी पूजा करते है !!
उनकी जो आवश्यकताएँ होती है !!
उन्हें मैं पूरा करता हूँ !!
और जो कुछ उनके पास है !!
उसकी रक्षा करता हूँ !!
इतिहास कहता है कि कल सुख था !!
विज्ञान कहता है कि कल सुख होगा !!
लेकिन धर्म कहता है अगर मन सच्चा और !!
दिल अच्छा हो तो हर रोज सुख होगा !!
जो आपका हैं !!
वो आपको मिलकर ही रहेगा !!
चाहे उसे छीनने के लिए !!
सारी कायनात एक हो जाये !!
अहंकार मनुष्य से वह सब करवाता हैं !!
जो अंत में उसी के विनाश का कारण बनता हैं !!
इसलिए जीवन में जितना जल्दी !!
हो सके अपना अहंकार त्याग दें !!
समय कभी नहीं रुकता !!
आज यदि बुरा चल रहा हैं !!
तो कल अवश्य अच्छा आएगा आप केवल !!
निस्वार्थ भाव से कर्म कीजिए !!
और वही आपके हाथ में हैं !!
जैसे जल में तैरती नाव को !!
तूफान उसे अपने लक्ष्य से दूर ले जाता है !!
ठीक वैसे ही इंद्रिय सुख मनुष्य को !!
गलत रास्ते की ओर ले जाता है !!
आपका विश्वास एक पर्वत !!
को भी खिसका सकता है !!
लेकिन आपके मन का संदेह !!
दूसरा पर्वत खड़ा कर सकता है !!
खुद को कमज़ोर कभी नही समझना चाहिए !!
अगर आप गिरते हो तो उठने का प्रयास करो !!
लड़ो पूरी निष्ठा से अपना कर्तव्य !!
कर्म निभाओ बाकी सब मुझ पर छोड़ दो !!
हो सकता है !!
हर दिन अच्छा ना हो !!
लेकिन हर दिन में कुछ !!
अच्छा जरूर होता है !!
रोना बंद करो और अपनी !!
तकलीफों से खुद लडना सीखो !!
क्योंकि साथ देने वाले भी !!
श्मशान से आगे नहीं जाते !!
याद रखना अगर बुरे लोग सिर्फ !!
समझाने से समझ जाते तो !!
बांसुरी बजाने वाला भी !!
कभी महाभारत होने नहीं देता !!
गीता में कहा गया है !!
जो इंसान किसी की कमी को !!
पूरी करता है वो !!
सही अर्थों में महान होता है !!
Bhagwat geeta thought
तुम क्यों व्यर्थ में चिंता करते हो !!
तुम क्यों भयभीत होते हो !!
कौन तुम्हे मार सकता है !!
आत्मा न कभी जन्म लेती है !!
और न ही इसे कोई मार सकता है !!
ये ही जीवन का अंतिम सत्य है !!
जिंदगी में हम कितने सही हैं !!
और कितने गलत हैं !!
यह केवल दो लोग जानते हैं !!
एक परमात्मा और दूसरी हमारी अंतरात्मा !!
जब तक शरीर है !!
तब तक कमजोरियां तो रहेगी ही !!
इसलिए कमजोरियों की चिंता छोड़ो !!
और जो सही कर्म है !!
उस पर अपना ध्यान लगाओ !!
किसी का अच्छा ना कर सको !!
तो बुरा भी मत करना !!
क्योंकि दुनिया कमजोर है !!
लेकिन दुनिया बनाने वाला नहीं !!
सही कर्म वह नहीं है जिसके !!
परिणाम हमेशा सही हो !!
अपितु सही कर्म वह है जिसका !!
उद्देश्य कभी गलत ना हो !!
विषयों वस्तुओं के बारे में सोचते रहने !!
से मनुष्य को उनसे आसक्ति हो जाती है !!
इससे उनमें कामना यानी इच्छा पैदा होती है !!
और कामनाओं में विघ्न आने !!
से क्रोध की उत्पत्ति होती है !!
हे अर्जुन अपने परम भक्तों !!
जो हमेशा मेरा स्मरण या एक !!
चित्त मन से मेरा पूजन करते हैं !!
मैं व्यक्तिगत रूप से उनके !!
कल्याण का उत्तरदायित्व लेता हूँ !!
सफलता की राह तक !!
ले जायेंगे संदीप माहेश्वरी के !!
ये प्रेरणादायक विचार !!
जानिए कौन से है वो !!
इतिहास कहता है कि कल सुख था !!
विज्ञान कहता है कि कल सुख होगा !!
लेकिन धर्म कहता है अगर मन सच्चा और !!
दिल अच्छा हो तो हर रोज सुख होगा !!
ज्यादा खुश होने पर और !!
ज्यादा दुखी होने पर !!
निर्णय नहीं लेना चाहिए !!
क्योंकि यह दोनों परिस्थितियां आपको !!
सही निर्णय नहीं लेने देती हैं !!
जो होने वाला है वो होकर ही रहता है !!
और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता !!
ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है !!
उन्हें चिंता कभी नही सताती है !!
चुप रहने से बड़ा !!
कोई जवाब नहीं और !!
माफ कर देने से !!
बड़ी कोई सजा नहीं !!
ज्यादा खुश होने पर और !!
ज्यादा दुखी होने पर निर्णय नहीं लेना चाहिए !!
क्योंकि यह दोनों परिस्थितियां आपको !!
सही निर्णय नहीं लेने देती हैं !!
सही कर्म वह नहीं है !!
जिसके परिणाम हमेशा सही हो !!
अपितु सही कर्म वह है !!
जिसका उद्देश्य कभी गलत ना हो !!
संसार में कोई भी मनुष्य !!
सर्वगुण सम्पन्न नहीं होता !!
इसलिए कुछ कमियों को !!
नजरंदाज करके रिश्ते बनाए रखिये !!
जिंदगी में हम कितने सही हैं !!
और कितने गलत हैं !!
यह केवल दो लोग जानते हैं !!
एक परमात्मा और दूसरी हमारी अंतरात्मा !!
मन अशांत है और उसे !!
नियंत्रित करना कठिन है !!
लेकिन अभ्यास से इसे !!
वश में किया जा सकता है !!
Bhagwat geeta shlok in hindi
किसी का अच्छा ना कर सको !!
तो बुरा भी मत करना !!
क्योंकि दुनिया कमजोर है !!
लेकिन दुनिया बनाने वाला नहीं !!
जिसे कह दिया जाए वो शब्द होते हैं !!
जिसकी अभिव्यक्ति ना हो पाए वो अनुभूति !!
और जिसे चाह कर भी ना !!
कहा जाए वो होती हैं मर्यादा !!
सही कर्म वह नहीं हैं !!
जिसके परिणाम हमेशा सही हो !!
अपितु सही कर्म वह हैं !!
जिसका उद्देश्य कभी गलत ना हो !!
कभी -कभी जीवन में आगे बढ़ने !!
के लिए उन चीज़ो और व्यक्तियों को !!
भी त्यागना पड़ता हैं !!
जो कभी तुम्हारी ह्रदय !!
की गहराई में विलीन थे !!
संसार में परेशानी देने वाले !!
की हस्ती कितनी भी बड़ी क्यों न हो !!
पर भगवान की कृपादृष्टि से !!
बड़ी कभी नहीं हो सकती है !!
क्रोध आने पर चिल्लाने के !!
लिए ताकत नही चाहिए !!
मगर क्रोध आने पर चुप रहने !!
के लिए खूब ताकत चाहिए होती है !!
जो आपका है !!
वो आपको मिलकर ही रहेगा !!
फिर चाहे उसे छीनने के लिए !!
पूरी कायनात एक हो जाए !!
दो प्रकार के व्यक्ति इस संसार में !!
स्वर्ग से भी ऊपर स्थित होते है !!
एक वो जो शक्तिशाली होकर भी क्षमा कर देते है !!
और दूसरे वो जो दरिद्र होकर भी कुछ दान करते है !!
प्रेम शरीर या सुंदरता को !!
देखकर नही होता है !!
प्रेम हृदय से होता है जहाँ !!
दो हृदय मिल जाये वही प्रेम जन्म लेता है !!
जिस तरह प्रकाश की ज्योति अँधेरे में चमकती है !!
ठीक उसी प्रकार सत्य भी चमकता है !!
इसलिए हमेशा सत्य की राह पर चलना चाहिए !!
जब जब इस धरती पर पाप अहंकार और अधर्म बढ़ेगा !!
तो उसका विनाश कर धर्म की पुन स्थापना करने हेतु !!
मैं अवश्य अवतार लेता रहूंगा !!
जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है !!
जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना !!
इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो !!
जितना हो सके खामोश रहना ही अच्छा है !!
क्योंकि सबसे ज्यादा गुनाह इंसान !!
से उसकी जुबान ही करवाती है !!
सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए !!
प्रसन्नता ना इस लोक में है !!
ना ही कहीं और !!
गीता में कहा गया है कोई भी !!
अपने कर्म से भाग नहीं सकता !!
कर्म का फल तो भुगतना ही पड़ता है !!
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है !!
जैसा वह विश्वास करता है !!
वैसा वह बन जाता है !!
वक़्त कभी भी एक जैसा नही रहता है !!
उन्हें रोना भी पड़ता है !!
जो बेवजह दूसरों को रुलाते हैं !!
तराशने वाले पत्थरों को !!
भी तराश देते हैं नासमझ !!
हीरों को भी पत्थर क़रार देते हैं !!
जितना हो सके अपने मन !!
को मारे क्योकि यही एकमात्र ऐसी चीज हैं !!
जो हमें आगे बढ़ने नहीं देता !!
प्रार्थना और ध्यान इंसान के लिए बहुत जरुरी है !!
प्रार्थना से भगवान आपकी बात सुनते हैं !!
और ध्यान में आप भगवान की बात सुनते हैं !!
आत्मा पुराने शरीर को वैसे ही छोड़ देती है !!
जैसे मनुष्य पुराने कपड़ों को उतार !!
कर नए कपड़े धारण कर लेता है !!
सच्चा धर्म यह है कि जिन बातों को !!
इंसान अपने लिए अच्छा नहीं समझता !!
उन्हें दूसरों के लिए भी प्रयोग ना करें !!
सत्य कभी दावा नहीं करता कि मैं सत्य हूं !!
लेकिन झूठ हमेशा दावा करता हैं !!
कि सिर्फ मैं ही सत्य हूं !!
जो हो रहा हैं उसे होने दो !!
तुम्हारे ईश्वर ने तुम्हारी सोच !!
से भी बेहतर तुम्हारे लिए सोच रखा हैं !!
सच्चा धर्म यह है कि जिन बातों को !!
इंसान अपने लिए अच्छा नहीं समझता !!
उन्हें दूसरों के लिए भी प्रयोग ना करें !!
मन की शांति से बढ़कर इस !!
संसार में कोई भी संपत्ति नहीं है !!
मैं उन्हें ज्ञान देता हूँ जो सदा !!
मुझसे जुड़े रहते हैं और जो !!
मुझसे प्रेम करते हैं !!
सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के !!
लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है !!
ना ही कहीं और !!
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है !!
जैसा वह विश्वास करता है !!
वैसा वह बन जाता है !!
जहाँ आपकी कोई कीमत नही है !!
वहाँ पर रुकना अनुचित है !!
चाहे वो किसी का घर हो या किसी का मन !!!
गीता में कहा गया है कोई भी !!
अपने कर्म से भाग नहीं सकता !!
कर्म का फल तो भुगतना ही पड़ता है !!
अर्जुन मैं धरती का मधुर सुगंध हूँ ,
मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ !!
सभी जीवित प्राणियों का जीवन और !!
सन्यासियों का आत्मसंयम भी मैं ही हूँ !!
जिस प्रकार से प्राकृतिक मौसम में बदलाव आता है !!
ठीक उसी प्रकार से !!
जीवन में भी सुख दुख आता रहता है !!
वह कभी स्थाई नहीं रहते हैं !!
जो होने वाला है वो होकर ही रहता है !!
और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता !!
ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है !!
उन्हें चिंता कभी नही सताती है !!
जो सब प्राणियों के दुख-सुख को !!
अपने दुख-सुख के समान समझता है !!
और सबको समभाव से देखता है !!
वही श्रेष्ठ योगी है !!
हे कुन्तीपुत्र! मैं जल का स्वाद हूँ !!
सूर्य तथा चन्द्रमा का प्रकाश हूँ !!
वैदिक मन्त्रों में ओंकार हूँ !!
आकाश में ध्वनि हूँ तथा मनुष्य में सामर्थ्य हूँ !!
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