चाणक्य नीति : चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन भारतीय दार्शनिक, शिक्षक, अर्थशास्त्री, न्यायविद् और शाही सलाहकार थे। चाणक्य ने अर्थशास्त्र नामक प्राचीन भारतीय राजनीतिक ग्रंथ लिखा, जिसमें अर्थशास्त्र, राजनीति, सैन्य रणनीति और शासन कला जैसे विभिन्न विषयों को शामिल किया गया है। उन्होंने मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के सलाहकार के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसके सत्ता में आने की नींव रखने का श्रेय उन्हें दिया जाता है।
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चाणक्य नीति

दृढ इच्छा शक्ति के आगे !!
नियति को भी झुकना पडता है !!
मनुष्य स्वयं ही अपने कर्मों द्वारा !!
जीवन में दुख को आमंत्रित करता है !!
वन की अग्नि चन्दन की लकड़ी को भी जला देती है !!
अर्थात दुष्ट व्यक्ति किसी का भी अहित कर सकते हैं !!
सफलता को कभी अपने सिर पर ना चढ़ने दे !!
और असफलता को कभी दिल में ना उतरने दे !!
इस संसार में बिना स्वार्थ के कोई भी रिश्ता !!
नही बन सकता है और यह जीवन का कड़वा सच है !!
कार्य करते समय जो कार्य बिगड़ जाये !!
उनको स्वंय देखकर सुधारने का प्रयत्न करना चाहिए !!
अगर सांप जहरीला ना हो तो भी !!
आत्मरक्षा के लिए उसे जहरीला दिखाना जरुरी है !!
शब्दों में जिम्मेदारी झलकनी चाहिए !!
आपको बहुत से लोग पढ़ते हैं !!
समझदार व्यक्ति को दूसरों के !!
बल पर साहस नहीं करना चाहिए !!
जीवन हमेशा आपको नहीं सिखाएगा !!
कभी कभी आपको रुक कर सीखना पड़ता है !!
अगर कोई व्यक्ति आपको एक ही सबक !!
दो बार सिखाएं तो इसमें गलती आपकी है !!
अगर आपके पास कोई प्रतिभा या हुनर नहीं है !!
तो आप लोगों के लिए मात्र मजाक हैं और कुछ नहीं !!
जिन लोगों को सिर्फ अपने बारे में बात करनी होती है !!
या जो सदा अपनी उपलब्धियों के बारे में बात करते हैं !!
जिन्हें अपने भाग्य पर विश्वास नहीं होता !!
उनके कार्य भी पूरे नहीं होते !!
जैसे ही डर आपके नज़दीक आने लगे !!
उस पर हमला कीजिए और उसे नष्ट कर दीजिए !!
आमदनी पर्याप्त न हो तो खर्चो पर नियंत्रण रखिए !!
जानकारी पर्याप्त न हो तो शब्दों पर नियंत्रण रखिए !!
भविष्य के अन्धकार में छिपे कार्य के लिए !!
श्रेष्ठ मंत्रणा दीपक के समान प्रकाश देने वाली है !!
विद्यार्जन करना एक कामधेनु के समान है !!
जो मनुष्य को हर मौसम में अमृत प्रदान करती है !!
समय का ज्ञान ना रखने वाले !!
राजा का कर्म समय के द्वारा ही नष्ट हो जाता है !!
अपने से अधिक शक्तिशाली !!
और समान बल वाले से शत्रुता कभी नही करनी चाहिए !!
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चाणक्य नीति सुविचार
बिना प्रयत्न किए धन प्राप्ति की इच्छा करना !!
रेत में से तेल निकालने के समान है !!
जो अपने कर्तव्यों से बचते हैं !!
वे अपने आश्रितों परिजनों का भरण-पोषण नहीं कर पाते !!
दूध के लिए हथिनी पालने की जरुरत नहीं होती !!
अर्थात आवश्कयता के अनुसार साधन जुटाने चाहिए !!
पुस्तकें एक मुर्ख आदमी के लिए वैसे ही होती है !!
जैसे एक अंधे आदमी के लिए आइना !!
कोई भी शिक्षक कभी साधारण नही होता !!
प्रलय और निर्माण उसकी गोद मे पलते है !!
सिंह से सीखो जो भी करना जोरदार !!
तरीके से करना और दिल लगाकर करना !!
डर को नजदीक न आने दो अगर यह !!
नजदीक आ जाय तो इस पर हमला कर दो !!
उदारत प्रेमदायक भाषण हिम्मत और अच्छा चरित्र !!
कभी प्राप्त नहीं किया जा सकता ये सारे जन्मजात गुण ही होते है !!
बार बार धोखे को माफ़ करने वाले !!
व्यक्ति दयालु नहीं मूर्ख कहलाते हैं !!
सांप के दांत में बिच्छू के डंक में !!
मनुष्य के मन मे जहर होता है !!
जो धैर्यवान नहीं है उसका !!
न वर्तमान है न भविष्य !!
उन लोगों से सावधान रहो जिनकी !!
बातें उनके कार्यो से मेल नहीं खाती !!
जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को यदि आग लगा दी जाये !!
तो वह पूरा जंगल जला देता है उसी प्रकार एक !!
पापी पुत्र पुरे परिवार बर्बाद कर देता है !!
वह जो भलाई को लोगो के दिलो में सभी के लिए !!
विकसित करता चला जाता है वह आसानी से अपने !!
लक्ष्य प्राप्ति के एक-एक कदम आगे बढ़ता चला जाता है !!
भगवान मूर्तियों में नहीं है !!
आपकी अनुभूति ही आपका
इश्वर है और आपकी आत्मा ही आपका मंदिर है !!
जरूरी नहीं कि हर उपहार कोई वस्तु ही हो प्रेम !!
परवाह और इज्जत बहुत अच्छे उपहार हैं !!
किसी को देने के लिए !!
परमात्मा सभी को एक ही मिट्टी से बनाता है !!
बस फर्क इतना है कि कोई बाहर से खूबसूरत होता है !!
तो कोई भीतर से
अहंकार तभी उत्पन्न होता है !!
जब मनुष्य यह भूल जाता है कि प्रशंसा !!
उसकी नही बल्कि उसके गुणों की हो रही है !!
इतनी जल्दी दुनिया की !!
कोई चीज नहीं बदलती !!
जितनी जल्दी इंसान की जाती हैं !!
धन मित्रता को खा जाता है !!
क्रोध बुद्धि को खा जाती है !!
और अभिमान आत्मज्ञान को खा जाता !!
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चाणक्य नीति की 100 बातें
आप स्वयं को तब तक स्वतंत्र !!
नही कह सकते जब तक आप दूसरों को प्रभावित !!
करने के लिए खुद में बदलाव लाते रहेंगे !!
सपने और लक्ष्य में एक ही अंतर है !!
सपने के लिए बिना मेहनत की नींद चाहिए !!
और लक्ष्य के लिए बिना नींद मेहनत चाणक्य !!
जीवन में तीन मंत्र आनंद में वचन मत दीजिए !!
क्रोध में उत्तर मत दीजिए !!
दुख में निर्णय मत लीजिए !!
सबसे बड़ा गुरु मन्त्र है
कभी भी अपने राज !!
दूसरों को मत बताएं ये आपको बर्बाद कर देगा !!
हमें भूत के बारे में कभी पछतावा नहीं करना चाहिए !!
ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए !!
क्योकि विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं !!
यदि आप प्रयास करने के बाद भी असफल हो जाऐं !!
तो भी उस व्यक्ति से हर हाल में बेहतर होंगे !!
जिसको बिना किसी प्रयास के सफलता मिल गई ह !!
जो भविष्य के लिए तैयार है !!
और जो किसी भी परिस्थिति को !!
चतुराई से निपटता है वो सुखी रहता है !!
दूसरों की गलतियों से सीखो !!
अपने ही अनुभव से सीखने को !!
तुम्हारी आयु कम पड़ जाएगी !!
बुरे राजा के राज में न तो जनता सुखी होगी !!
और न ही उससे कभी जनता का भला होगा !!
बुरे राजा से तो अच्छा है कि राजा न ही हो !!
जो व्यक्ती गलत कार्य करने में न तो !!
संकोच करे और न ही लज्जा महसूस करे !!
उस से दोस्ती नहीं करनी चाहिए !!
चाहे पैर में एक मणि और !!
सिर पर एक दर्पण रख दिया जाए !!
फिर भी मणि अपना महत्व नहीं खोयेगी !!
कमजोर व्यक्ति से दुश्मनी ज्यादा खतरनाक होती है !!
क्योंकि वह उस समय हमला करता है !!
जिसकी आप कल्पना ही नहीं कर सकते हैं !!
झुकना केवल इतना ही चाहिए !!
जितना कि जरूरी हो !!
अन्यथा यह व्यक्ति के अहम् को बढ़ा देगा !!
आपको जीवन में ज्यादा सीखना है !!
तो आपको बेशर्म रहना होगा !!
वरना आप ज्यादा नहीं सीख पाएंगे !!
जिसमें सच बोलने की ताकत होती है !!
सबसे ज्यादा नफरत की ज्वाला का !!
शिकार भी वही होता है !!
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स्टेटस चाणक्य Niti
अगर किसी के पास ज्ञान का आभाव है !!
तो लोग ऐसे लोगों से दूर रहना ही पसंद करते है !!
इसलिए कहा गया है ज्ञान में अद्भुत शक्ति है !!
जो लोग परमात्मा तक पहुंचना चाहते हैं !!
उन्हें वाणी मन इन्द्रियों की पवित्रता और !!
एक दयालु हृदय की आवश्यकता होती है !!
यदि आप प्रयास करने के बाद भी असफल हो जाऐं !!
तो भी उस व्यक्ति से हर हाल में बेहतर होंगे !!
जिसको बिना किसी प्रयास के सफलता मिल गई हो !!
खुद का अपमान करा के जीने से तो अच्छा है मर जाना !!
क्योकि प्राणों को त्यागने से एक ही बार कष्ट होता है पर !!
अपमानित होकर जिंदा रहने से बार बार कष्ट होता है !!
किसी भी कार्य में पल भर का भी विलम्ब ना करें !!
मनुष्य स्वयं ही अपने कर्मो के दवारा !!
जीवन मे दुःख को बुलाता है !!
जब कोई सजा थोड़े मुआवजे के साथ दी जाती है !!
तब वह लोगो को नेकी करने के लिए निष्टावान एवम !!
पैसे और ख़ुशी कमाने के लिए प्रेरित करती है !!
बुद्धिमान व्यक्ति का कोई भी शत्रु नहीं होता !!
जो लोगो पर कठोर से कठोर सजा को लागू करता है !!
वो लोगो की नजर में घिनौना बनता जाता है !!
जबकि नरम सजा लागू करता है !! वह तुच्छ बनता है !!
लेकिन जो योग्य सजा को लागू करता है वह सम्माननीय कहलाता है !!
मित्र पुस्तके रास्ता और सोच !!
अगर गलत हो तो गुमराह कर देते हैं !!
और अगर यही सही हो तो !!
जीवन भी बना देते हैं !!
इसलिए इनका चुनावं अच्छी तरह सोच समझ कर करें !!
जीवन मे ये तीन काम कभी खत्म नहीं होती !!
जिम्मेदारियां सुख दुख का आना !!
और विचारों का चलते रहना !!
पाखंड मुंह कि दुर्गन्ध कि तरह होता है !!
अपनी का पाता नहीं चलता !!
और दूसरों कि बुरी लगती है !!
अजीब फितरत है हम इंसानों की !!
मोहोब्बत ना मिले तो सब्र नहीं करते !!
और मिल जाए तो कद्र नहीं करते !!
जो व्यक्ती गलत कार्य करने में न तो संकोच करे !!
और न ही लज्जा महसूस करे !!
उस से दोस्ती नहीं करनी चाहिए !!
कर्म का फल व्यक्ति को ठीक उसी तरह ढूंढ लेता है !!
जैसे कि कोई बछड़ा हजारों गायों के !!
बीच अपनी मां को ढूंढ लेता है !!
अपनी प्रशंसा से बचें !!
ये आपके अंदर की अच्छाइयों को !!
घुन की तरह खा जाती है !!
आग को चाहे सिर पर भी रख लो वो जलाएगी ही !!
ऐसे ही किसी दुष्ट को कितना bhi सम्मान देदो !!
वो दुःख देगा ही !!
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सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन
शेर के साथ रहोगे तो वह जीवन मे संघर्ष करना सिखाएगा !!
लेकिन अगर किसी गधे के साथ रहोगे !!
तो वह हालातो के सामने झुकना सिखायेगा !!
शोक-सन्ताप उत्पन्न करने वाले बहुत पुत्रों से क्या लाभ !!
कुल को सहारा देने वाला एक ही पुत्र श्रेष्ठ है !!
जो कुल का कुल आधार होता है !!
सबसे बड़ा गुरु मन्त्र है !!
कभी भी अपने राज़ दूसरों को मत बताएं !!
ये आपको बर्वाद कर देगा !!
वेश्या निर्धन पुरुष को प्रजा शक्तिहीन राजा को !!
पक्षी फलरहित वृक्ष को और !!
अभ्यागत भोजन करके घर को छोड़ देते हैं !!
ढेकुली नीचे सिर झुकाकर ही कुँए से जल निकालती है !!
अर्थात कपटी या पापी व्यक्ति !!
सदैव मधुर वचन बोलकर अपना काम निकालते है !!
जब कार्यों की अधिकता हो !!
तब उस कार्य को पहले करें !!
जिससे अधिक फल प्राप्त होता है !!
सर्प राजा शेर डंक मारने वाले ततैया !!
छोटे बच्चे दूसरों के कुत्तों और एक मूर्ख !!
इन सातों को नीद से नहीं उठाना चाहिए !!
वही पत्नी अच्छी है !!
जो पति को प्रसन्न करने वाली !!
शुचिपूर्ण पारंगत शुद्ध और सत्यवादी है !!
अगर सांप जहरीला ना भी हो !!
तो भी उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए !!
यानी हमें खुद को योग्य बताना चाहिए !!
अपनी कमियों का बखान कम से कम करें !!
अन्यथा यह आपके लिए घातक होगा !!
याद रहे लोग कमजोरियों पर सबसे पहले प्रहार करते हैं !!
कोई भी व्यक्ति ऊंचे स्थान पर बैठकर !!
ऊंचा नहीं हो जाता !!
बल्कि हमेशा अपने गुणों से ऊंचा होता है !!
एक उत्कृष्ट बात जो शेर से सीखी जा सकती है !!
वो ये है कि व्यक्ति जो कुछ भी करना चाहता है !!
उसे पूरे दिल और ज़ोरदार प्रयास के साथ करे !!
भाग्य उनका साथ देता है !!
जो कठिन परिस्थितयो का सामना !!
करके भी अपने लक्ष्य के प्रति ढृढ रहते है !!
ये मत सोचो की प्यार और लगाव एक ही चीज है !!
दोनों एक दूसरे के दुश्मन हैं !!
ये लगाव ही है जो प्यार को खत्म कर देता है !!
शत्रु के चाल के हिसाब से !!
तब तक चलते रहे जब तक !!
उसको यह विश्वास ना हो जाए !!
कि आप उसके जाल में फंस !!
चुके हो फिर उसे उसी की !!
चाल में उलझा कर मार देना ही उचित है !!
मीठी मीठी बातें करने वाले लोग !!
आपके कभी शुभ चिंतक नहीं हो सकते !!
इसलिए इनकी बातों में उलझ कर !!
अपनी हानि करवाने से अच्छा है !!
इनके साथ बुद्धि के साथ रहा जाए !!
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चाणक्य नीति दुश्मन
खुद को बदलने का आसान तरीका है !!
स्वीकारना जिस समय हम गलतियों को !!
स्वीकार लेते है उसी समय !!
परिवर्तन प्रारम्भ हो जाता है !!
हर सूर्यास्त हमारे जीवन से !!
एक दिन कम कर देता है !!
लेकिन हर सू्योदय हमें आशा !!
भरा एक और दिन दे देता है !!
इसलिये सदैव बेहतर की उम्मीद करें !!
पैर को लगने वाली चोट !!
संभल कर चलना सिखाती है !!
और मन को लगने वाली !!
चोट समझदारी से जीना सिखाती है !!
इंसान की फितरत ही यही है !!
की वो किसीभी चीज !!
की कद्र सिर्फ दो बार करता है !!
मिलने से पहले और दूसरा खोने के बाद !!
जीवन में सबसे कठिन दौर वह !!
नहीं जब तुम्हें कोई समझता !!
नहीं है बल्कि वह तब होता !!
है जब तुम अपने आपको ही !!
समझ नहीं पाते !!
भाग्य से जितनी ज्यादा !!
उम्मीद करोगे वो उतना ही !!
ज्यादा निराश करेगा और !!
कर्मों पर जितना जोर दोगे !!
वो हमेशा उम्मीद से भी ज्यादा देगा !!
विश्वास करने वाले से ज्यादा !!
मूर्ख विश्वास तोड़ने वाला होता हैं !!
क्योंकि वह अपने छोटे से स्वार्थ के !!
लिए एक अच्छे इंसान को खो देता हैं !!
जो आदमी भोजन करते समय ही मुंह खोलता है !!
वो सौ साल का सुख को एक साल में प्राप्त कर लेता है !!
मौन एक महान हथियार है !!महायुद्ध से न होनेवाले काम !!
मौन युद्ध से हो सकता है !! ज्यादा मुँह खोलने से !!
ज्यादातर समस्या हमारे छाती पर चढ़ते है !!
जैसे एक बछड़ा हजारो गायों के झुंड मे !!
अपनी माँ के पीछे चलता है !!
उसी प्रकार आदमी के अच्छे और !!
बुरे कर्म उसके पीछे चलते हैं !!
आचार्य चाणक्य
जो व्यक्ति अपनी सन्तान का !!
पालन-पोषण करता हो !!
उनके सुख दुख का ख्याल रखता हो !!
वही वास्तविक अर्थों में पिता है !!
जिसने हर क्षण को महोत्सव बनाया हो !!
जिसकी शिकायतें कम हो और !!
जिसने हर छोटी उपलब्धि के लिए भी !!
ईश्वर का धन्यवाद किया हो ऐसे व्यक्ति को !!
दुख का आभास बहुत ही कम होता है !!
इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि !!
आपने क्या करने के लिए सोचा है !!
बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और !!
इस काम को करने के लिए दृढ रहिये !!
बुरे लोगों की मीठी बातों पर हमें !!
कभी भी भरोसा न करना चाहिए !!
क्योंकि वो अपनी मूल स्वभाव को नहीं भूलते !!
बाघ हिंसा करना नहीं छोड़ता है !!
हर मित्रता के पीछे कोई ना !!
कोई स्वार्थ जरूर होता है !!
ऐसी कोई मित्रता नहीं !!
जिसमें स्वार्थ ना हो !!
यह कड़वा सच है !!
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चाणक्य नीति जीवन जीने की
तुम समय को रोक नहीं सकते !!
परंतु समय को बर्बाद न करन !!
सदैव तुम्हारे नियंत्रण में ही है !!
आचार्य चाणक्य !!
जिन्दगी में दो लोग बहुत तकलीफ देते है !!
एक वो जिससे प्रेम न हो और उसके साथ रहना पड़े !!
दूसरा वो जिससे हद से ज्यादा प्रेम हो !!
और उसके बिना रहना पडे !!
समुद्र प्रलय के समय में अपनी मर्यादा को छोड़ देता है !!
और सागर भेद की इच्छा भी रखते हैं !!
अर्थात् किनारों को छोड़ देते हैं !!
परन्तु साधु लोग प्रलय होने पर भी !!
अपनी मर्यादा नहीं छोड़ते !!
एक समझदार आदमी को सारस की तरह !!
होश से काम लेना चाहिए !!
और स्थान समय और अपनी योग्यता को समझते हुए !!
अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए !!
एक संतुलित मन के बराबर कोई तपस्या नहीं है !!
संतोष के बराबर कोई खुशी नहीं है !!
लोभ के जैसी कोई बिमारी नहीं है !!
दया के जैसा कोई सदाचार नहीं है !!
धर्म से भी बड़ा व्यवहार है !!
आत्मा व्यवहार की साक्षी है !!
आत्मा तो सभी की साक्षी है !!
कूट साक्षी नहीं होना चाहिए !!
बिना प्रयत्न के जहां जल उपलब्ध हो !!
वही कृषि करनी चाहिए !!
जैसा बीज होता है वैसा ही फल होता है !!
जैसी शिक्षा वैसी बुद्धि !!
जैसा कुल वैसा आचरण !!
वो जिसका ज्ञान बस किताबों तक सीमित है !!
और जिसका धन दूसरों के कब्ज़े मैं है !!
वो ज़रुरत पड़ने पर !!
ना अपना ज्ञान प्रयोग कर सकता है ना धन !!
पुराना होने पर भी शाल के !!
वृक्ष से हाथी को नहीं बाँधा जा सकता !!
बहुत बड़ा कनेर का वृक्ष भी !!
मूसली बनाने के काम नहीं आता !!
यदि किसी का स्वभाव अच्छा है !!
तो उसे किसी और गुण की क्या जरूरत है !!
यदि आदमी के पास प्रसिद्धि है तो !!
भला उसे और किसी श्रृंगार की क्या आवश्यकता है !!
व्यक्ति अकेले पैदा होता है !!
और अकेले मर जाता है और !!
वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का !!
फल खुद ही भुगतता है !!
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Chanakya Niti in Hindi PDF Book
जिस तरह एक सुगंध भरे वृक्ष से !!
सारा जंगल महक जाता है !!
उसी तरह एक गुणवान पुत्र से !!
सारे कुल का नाम रौशन हो जाता है !!
उस स्थान पर एक पल भी नहीं ठहरना चाहिए !!
जहां आपकी इज्जत न हो !!
जहां आप अपनी जीविका नहीं चला सकते !!
जहां आपका कोई दोस्त नहीं हो !!
और जहां ज्ञान की तनिक भी बातें न हों !!
सफलता की डगर में धूप का भी योगदान होता है !!
क्योंकि छांव मिलते ही पैर डगमगाने लगते हैं !!
और विश्राम की ओर ध्यान भटकता है !!
चाणक्य नीति कहती है कि !!
इंसान को हमेशा गलत कार्यों से दूर रहना चाहिए !!
और इसके लिए व्यक्ति को धर्म अनुशासन !!
और नियमों का पालन करना पड़ता है !!
जो व्यक्ति शक्ति न होने पर भी !!
मन में हार नही मानता है !!
उसे संसार की कोई भी !!
ताकत परास्त नही कर सकती है !!
सारस की तरह एक बुद्धिमान व्यक्ति को !!
अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए !!
और अपने उद्देश्य को स्थान की जानकारी !!
समय और योग्यता के अनुसार प्राप्त करना चाहिए !!
एक अनपढ़ व्यक्ति का जीवन उसी तरह से बेकार है !!
जैसे की कुत्ते की पूँछ !!
जो ना उसके पीछे का भाग ढकती है !!
ना ही उसे कीड़े-मकौडों के डंक से बचाती है !!
जैसे एक सूखा पेड़ !!
आग लगने पे पुरे जंगल को जला देता है !!
उसी प्रकार एक दुष्ट पुत्र !!
पुरे परिवार को खत्म कर देता है !!
जो समय बीत गया उसे याद कर पछताना बेकार है !!
अगर कोई गलती हुई भी है !!
तो उससे सबक लेकर वर्तमान को !!
श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करना चाहिए !!
एक बार यदि आपने कोई काम करना शुरू कर दिया !!
तो असफलता से मत डरिये !!
जो लोग इमानदारी से काम करते है !!
वे हमेशा खुश होते है !!
वह जो अपने परिवार से अत्यधिक जुड़ा हुआ है !!
उसे भय और चिंता का सामना करना पड़ता है !!
क्योंकि सभी दुखों कि जड़ लगाव है !!
इसलिए खुश रहने कि लिए लगाव छोड़ देना चाहिए !!
अगर सांप जहरीला नहीं हैं !!
तो भी उसे फुफकारना नहीं छोड़ना चाहिए !!
उसी प्रकार कमजोर व्यक्ति को भी !!
हर वक्त अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए !!
हंस वही रहते है जहा पानी हो !!
और वो जगह छोड़ देते है जहा पानी खत्म हो गया हो !!
क्यू ना ऐसा इंसान भी करे !!
प्रेमपूर्वक आये और प्रेमपूर्वक जाए !!
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Chanakya Niti Hindi
जो बीत गया सो बीत गया !!
अपने हाथ से कोई गलत काम हो गया हो !!
तो उसकी चिंता छोड़ते हुए !!
अपने वर्तमान को सही तरीके से जी कर !!
भविष्य को सवारना चाहिए !!
नौकर को बाहर भेजने पर !!
भाई बंधू को संकट के समय !!
दोस्तों को विपत्ति में !!
और अपनी स्त्री को धन का नष्ट हो जाने पर ही !!
परखा जा सकता हैं !!
सत्य की भूख सबको है !!
लेकिन जब सत्य परोसा जाता है !!
तो बहुत कम लोगों को ही !!
इसका स्वाद अच्छा लगता है !!
नीम की जड़ में मीठा दूध डालने से !!
नीम मीठा नहीं हो सकता !!
उसी प्रकार कितना भी समझाओ !!
दुर्जन व्यक्ति का साधु बनना मुश्किल है !!
उस देश मे निवास न करें !!
जहाँ आपकी कोई ईज्जत नहीं हो !!
जहा आप रोजगार नहीं कमा सकते !!
जहा आपका कोई मित्र नहीं !!
और जहा आप कोई ज्ञान आर्जित नहीं कर सकते !!
भविष्य में आने वाली मुसीबतो के लिए धन एकत्रित करें !!
ऐसा ना सोचें की धनवान व्यक्ति को मुसीबत कैसी !!
जब धन साथ छोड़ता है तो !!
संगठित धन भी तेजी से घटने लगता है !!
व्यक्ति को आने वाली मुसीबतो से निबटने के लिए !!
धन संचय करना चाहिए !!
उसे धन-सम्पदा त्यागकर भी !!
पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए !!
लेकिन यदि आत्मा की सुरक्षा की बात आती है !!
तो उसे धन और पत्नी दोनो को तुक्ष्य समझना चाहिए !!
जींदगी वन-डे मैच की तरह है !!
जिसमें रन तो बढ़ रहे है पर ओवर घट रहे है !!
मतलब धन तो बढ़ रहा है पर उम्र घट रही है !!
इसलिए हर दिन कुछ न कुछ पूण्य के चौके छक्के लगाये !!
ताकि ऊपर बैठा एम्पायर हमें खुशियों की ट्रॉफी दे !!
कुदरत का उसूल है जो दोगे !!
वो किसी ना किसी रूप मे आप तक !!
लौट कर जरूर आएगा !!
फिर चाहे वो प्यार हो धोखा हो !!
नफ़रत हो अच्छे कर्मो का फल हो !!
या बुरे कर्मो का नतीजा !!
अगर आपका आत्मविश्वास कमजोर है !!
तो ऐसे लोगों पर लोगों को भी विश्वास नहीं होता !!
जिसके परिणामस्वरूप लोग !!
आपका सम्मान भी नहीं करेंगें !!
अगर आपकी सीमाएं निर्धारित नहीं है !!
इसका मतलब यह है की !!
आप सबके के साथ कुछ भी बात करते हैं !!
या हर किसी के साथ समान वयवहार करते हैं !!
तो यह आपकी प्रतिष्ठा के लिए उचित नहीं है !!
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चाणक्य नीति स्त्री
आँख से अंधे को दुनिया नहीं दिखती !!
काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता !!
मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता !!
और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता !!
एक राजा की ताकत !!
उसकी शक्तिशाली भुजाओं में होती है !!
ब्राह्मण की ताकत उसके आध्यात्मिक ज्ञान में !!
और एक औरत की ताक़त उसकी खूबसूरती !!
यौवन और मधुर वाणी में होती है !!
स्त्री का विरह अपने जनों से अनादर !!
युद्ध करके बचा हुआ शत्रु कुत्सित राजा की सेवा !!
दरिद्रता और अविवेकियों की सभा !!
ये बिना आग ही शरीर को जलाते हैं !!
वो जो अपने परिवार से अति लगाव रखता है !!
भय और दुख में जीता है !!
सभी दुखों का मुख्य कारण लगाव ही है !!
इसलिए खुश रहने के लिए !!
लगाव का त्याग आवशयक है !!
समुद्रों में वर्षा वृथा है !!
भोजन से तृप्त हुए को भोजन निरर्थक है !!
धनी को दान देना और !!
दिन में दीपक जलाना व्यर्थ है !!
जिस आदमी से हमें काम लेना है !!
उससे हमें वही बात करनी चाहिए जो उसे अच्छी लगे !!
जैसे एक शिकारी हिरन का शिकार करने से पहले !!
मधुर आवाज़ में गाता है !!
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